1896 में जब महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका के डरबन में थे, तो उन्हें पता भी नहीं था कि उनका नाम मतदाता सूची में दर्ज है या नहीं। उन्हें चुनाव लड़ने वाले एक व्यक्ति से ये जानकारी मिली। मतदान करने में उनकी कोई खास रुचि नहीं थी, लेकिन उन्हें यह जानने की जिज्ञासा ज़रूर हुई कि उनका नाम मतदाता सूची में कैसे आया। उन्हें शक हुआ कि जिसने उन्हें यह सूचना दी और उनसे वोट मांगा, उसी ने उनका नाम सूची में डलवाया होगा। इस अनुभव से उन्होंने महसूस किया कि मतदाता सूचियाँ अक्सर किसी ख़ास उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के हिसाब से तैयार होती हैं।
वोट चोरी का पर्दाफाशः गांधी और आम्बेडकर के विज़न का उल्लंघन
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- 12 Aug, 2025

राहुल गांधी नकली मतदाताओं के सबूत दिखाते हुए
Vote Chori ECI Rahul Gandhi: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर भारत का चुनाव आयोग पूरी तरह दम लगाकर जवाब देने की नाकाम कोशिश कर रहा है। उसकी चुप्पी पूरी तरह गांधी-आम्बेडकर के लोकतांत्रिक नज़रिए का हनन है। पढ़िए यह विश्लेषण विस्तार से।