All India SIR: चुनाव आयोग ने बिहार के अनुभव से सीखते हुए, देशभर में मतदाता सूचियों को सही करने यानी एसआईआर करने से पहले राजनीतिक दलों से सलाह लेने की योजना बना रहा है। बिहार में 65 लाख नाम हटाए गए थे। काफी विवाद भी हुआ था।
बिहार एसआईआर पटना और मधुबनी में सबसे ज्यादा मतदाता नाम हटाए गए
बिहार में विशेष गहन संशोधन (SIR) के दौरान राजनीतिक दलों से सलाह न करने की आलोचना के बाद, चुनाव आयोग ने रजिस्टर्ड राजनीतिक दलों से बातचीत के बाद ही पूरे देश में एसआईआर कराने का फैसला किया है। यह कदम प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाने के लिए उठाया गया है। हालांकि ऐसी बैठकें कब शुरू होंगी, उसकी तारीख तय नहीं की गई है। चुनाव आयोग इस समय बिहार चुनाव की तैयारी में व्यस्त है।
24 जून को ईसी ने राष्ट्रीय SIR का आदेश जारी किया था, जिसमें सभी पंजीकृत मतदाताओं को नए गणना फॉर्म भरने और पात्रता दस्तावेज जमा करने का निर्देश दिया गया। बिहार में यह प्रक्रिया 25 जून से शुरू हुई, जहां 7.89 करोड़ मतदाताओं को 25 जुलाई तक फॉर्म जमा करना था। इस दौरान मृत्यु, स्थायी स्थानांतरण, दोहरे पंजीकरण या पता न मिलने जैसे कारणों से 65 लाख नाम मतदाता सूची से हटाए गए। बिहार की अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होने वाली है।
बिहार के अनुभव से सबक लेते हुए, ईसी ने 10 सितंबर को नई दिल्ली में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) के साथ एक सम्मेलन आयोजित किया। इस दौरान बिहार के सीईओ ने अपनी रणनीतियों, चुनौतियों और सर्वोत्तम प्रथाओं पर प्रस्तुति दी, ताकि अन्य राज्य इससे सीख सकें। ईसी ने बयान में कहा, "सभी सीईओ को बिहार के अनुभवों का अध्ययन करने और राष्ट्रीय SIR के लिए तैयारियां तेज करने का निर्देश दिया गया है।"
राष्ट्रीय SIR की समयसीमा अभी तय नहीं हुई है, लेकिन आयोग ने सभी सीईओ को निर्देश दिया है कि वे प्रक्रिया शुरू होने से पहले राजनीतिक दलों के साथ बैठकें करें। बिहार में SIR के दौरान दस्तावेजों के लिए कड़े नियम लागू किए गए थे। 1 जनवरी 2003 के बाद पंजीकृत मतदाताओं को जन्म तिथि/स्थान साबित करने वाले दस्तावेज जमा करने थे। 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच जन्मे मतदाताओं को स्वयं और एक माता-पिता के दस्तावेज, जबकि 2 दिसंबर 2004 के बाद जन्मे मतदाताओं को स्वयं और दोनों माता-पिता के दस्तावेज जमा करने थे। यह नियम नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुरूप हैं।
SIR को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं, जिनमें विपक्षी सांसदों ने इसे 'पीछे से एनआरसी लागू करने' की कोशिश बताया है। ईसी ने कोर्ट में शपथ-पत्र दाखिल कर कहा कि अनुच्छेद 326 के तहत केवल भारतीय नागरिक ही मतदाता सूची में शामिल हो सकते हैं, और SIR का उद्देश्य मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करना है। आयोग ने स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया किसी की नागरिकता रद्द करने का कारण नहीं बनेगी।
राजनीतिक दलों ने आयोग के परामर्श के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन कई दल अभी भी सतर्क हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि दलों के साथ चर्चा से मतदाता सूची की शुद्धता बढ़ेगी और विवाद कम होंगे। राष्ट्रीय SIR की विस्तृत समयसीमा और दिशानिर्देश जल्द ही जारी होने की उम्मीद है।