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2008 की महामंदी स्तर से भी बदतर आर्थिक हालात

क्या भारत सहित दुनिया भर में 2023 की शुरुआत बहुत बड़ी मंदी से होने वाली है। तमाम आर्थिक विशेषज्ञ इसकी तरफ इशारा कर रहे हैं। पहली सूचना यह है कि 2008-2009 में जो ग्रेट रिसेशन (बड़ी मंदी) आई थी, उस समय जितनी नौकरियां गई थीं, उससे कहीं ज्यादा नौकरियां इस बार अभी तक अकेले 965 बड़ी टेक कंपनियां खा गई हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने आज गुरुवार को बेंच मार्क रेट 0.50 फीसदी बढ़ाया है। 15 वर्षों में इस समय अमेरिकी बेंच पार्क सबसे उच्चतम स्तर पर है। कारोबारी एलोन मस्क ने कह दिया है कि मंदी को अब कोई रोक नहीं सकता। भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कल बुधवार को राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी से यही बातें कहीं थीं। मंदी को लेकर तमाम तथ्यों को इस तरह आगे समझें।  

Economic situation reached beyond Great Depression of 2008 - Satya Hindi
आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन

आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कल राहुल गांधी से कई सारी बातें कहीं। लेकिन उनमें भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर कही गई उनकी बात पर गौर होना चाहिए। राजन ने कहा था कि दुनिया में आर्थिक मंदी आ रही है और भारत उससे अछूता नहीं रहेगा। 2023 की शुरुआत इसी से होने वाली है। रघुराम राजन ने यह भी कहा कि 2023 में भारत का 5 फीसदी जीडीपी पाना भी मुश्किल होगा। भारत की अर्थव्यवस्था जीडीपी के हिसाब से तय होती है। 

भारत सरकार ने खुद 2023 के लिए जीडीपी ग्रोथ 7 फीसदी बताई थी, लेकिन पिछले हफ्ते उसने इसे घटाकर 6.80 फीसदी कर दिया है। यानी भारत सरकार खुद ही अनुमान नहीं लगा पा रही है कि 2023 में जीडीपी ग्रोथ कितना रह सकती है। इसका सारांश यह है कि 2023 में अर्थव्यवस्था का सीन बहुत अच्छा नहीं रहेगा। भारत में भी आरबीआई रेपोरेट लगातार बढ़ा रहा है। 
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अमेरिका में अगर मंदी आती है तो उसका असर विश्व बाजार पर पड़ता है। भारत भी उससे अछूता नहीं रहता। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बेंच मार्क रेट 0.50 फीसदी बेसिस प्वाइंट बढ़ाया है। इसका असर यह होगा कि वहां भी बैंकों को लोन फेडरल रिजर्व बढ़ी रेट पर देगा।  इससे उपभोक्ता और बिजनेस लोन महंगा होगा। मंदी के यही दो बड़े कारण बनने वाले हैं। टेस्ला और ट्विटर के मालिक एलोन मस्क ने पिछले हफ्ते फेडरल रिजर्व को चेतावनी दी थी कि अगर बेंच मार्क रेट बढ़ा तो मंदी को कोई रोक नहीं सकता। यह आकर रहेगी।

टेक कंपनियों से अच्छी खबर नहींः टेक कंपनियों ने इस साल बड़े पैमाने पर जो छंटनी की है, उसने दुनिया भर में 2008-2009 की महामंदी के स्तर को पार कर लिया है। 2008-09 की महामंदी लेहमन ब्रदर्स बैंक के डूबने के साथ शुरू हुई थी।
ग्लोबल आउटप्लेसमेंट एंड करियर ट्रांजिशनिंग फर्म चैलेंजर, ग्रे एंड क्रिसमस के आंकड़ों बताते हैं कि 2008 में टेक कंपनियों ने लगभग 65,000 कर्मचारियों को बाहर कर दिया था और 2009 में भी इतनी ही तादाद में लोगों ने अपनी नौकरियां खो दी थीं। 
इस तरह इस साल 965 तकनीकी कंपनियों ने 150,000 से अधिक कर्मचारियों की छंटनी की है, जो 2008-2009 के महान मंदी के स्तर को पार करती हुई आगे निकल गई है। ये जो छंटनी पिछले एक महीने से चल रही है, इसका असर क्रिसमस पर अगले जनवरी 2023 से दिखना शुरू होगा, जब लोग बहुत सीमित खरीदारी करेंगे और मंदी साफ दिखने लगेगी।

जब यह मंदी जनवरी में नजर आएगी तो मेटा, ऐमजॉन, ट्विटर, माइक्रोसॉफ्ट, सेल्सफोर्स और अन्य कंपनियों की ग्लोबल मैक्रोइकॉनॉमिक्स हालात के बीच अगले साल की शुरुआत में टेक छंटनी की स्थिति और खराब होने वाली है। मार्केटवॉच की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि टेक फर्मों द्वारा ज्यादातर छंटनी 2023 में खुद को खड़े रखने की रणनीति का हिस्सा है। इसलिए उन्होंने खर्चे कम कर दिए हैं।
क्राउडसोर्स्ड डेटाबेस, layoffs.fyi के डेटा से पता चला है कि 1,495 तकनीकी कंपनियों ने कोविड-19 की शुरुआत के बाद से 246,267 कर्मचारियों को बर्खास्त किया है, लेकिन 2022 तकनीकी क्षेत्र के लिए सबसे खराब साल रहा है। 2023 की शुरुआत भी गंभीर हो सकती है।

नवंबर के मध्य तक मेटा, ट्विटर, सेल्सफोर्स, नेटफ्लिक्स, सिस्को, आरोकू और अन्य कंपनियों ने अमेरिकी तकनीकी क्षेत्र में 73,000 से अधिक कर्मचारियों को हटाया है। भारत में भी 17,000 से अधिक तकनीकी कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। 
ऐमजॉन और पीसी और प्रिंटर प्रमुख एचपी इंक जैसी बड़ी टेक कंपनियां भी इसमें शामिल हो गई हैं, और आने वाले दिनों में ऐमजॉन 20,000 से अधिक और एचपी इंक 6,000 से अधिक कर्मचारियों की छंटनी करने के लिए तैयार हैं। मेटा नेटवर्किंग ने ग्लोबल स्तर पर लगभग 4,000 नौकरियों में कटौती शुरू कर दी है।  
Economic situation reached beyond Great Depression of 2008 - Satya Hindi
गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई
गूगल भी अगले साल की शुरुआत में बड़े पैमाने पर छंटनी के लिए तैयारी कर रहा है। अल्फाबेट और गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने गूगल कर्मचारियों को हाल ही में भेजी गई ईमेल में इस तरह का कोई भरोसा नहीं दिया है कि ऐसा नहीं होगा। 

कर्मचारियों के साथ एक बैठक में, पिचाई ने कहा भविष्य की भविष्यवाणी करना वास्तव में कठिन है। इसलिए दुर्भाग्य से, मैं ईमानदारी से यहां बैठकर कोई कमिटमेंट (वादा) नहीं कर सकता। उन्होंने गूगल कर्मचारियों से कहा कि कंपनी महत्वपूर्ण निर्णय लेने, अनुशासित होने और काम को तर्कसंगत बनाने के लिए कठिन प्रयास कर रही है, ताकि हम आगे की परवाह किए बिना तूफान को बेहतर तरीके से झेल सकें। पिचाई ने कहा, हमें कोशिश करनी चाहिए और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहिए।

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क़मर वहीद नक़वी
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