लाल किले पर आतंकी विस्फोट के बाद निशाने पर आए अल-फलाह यूनिवर्सिटी के संस्थापक जावेद अहमद सिद्दीकी को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के केस में गिरफ़्तार किया है। उनकी गिरफ्तारी से कुछ घंटे पहले ही ईडी की कई टीमों ने दिल्ली-एनसीआर में अल-फलाह ग्रुप से जुड़े क़रीब 25 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की थी। इनमें यूनिवर्सिटी कैंपस, ट्रस्टीज के आवास और अन्य परिसर शामिल थे। ईडी का कहना है कि छापेमारी में 48 लाख रुपये से ज्यादा नकद, कई डिजिटल डिवाइस और अहम दस्तावेज बरामद हुए।

हाल ही में NAAC ने अल-फलाह विश्वविद्यालय से जुड़े विभागों पर एक्रेडिटेशन की ग़लत जानकारी देकर लोगों का गुमराह करने के लिए कारण बताओ नोटिस दिया था। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार बाद में दिल्ली पुलिस अपराध शाखा द्वारा दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि अल-फलाह विश्वविद्यालय ने फर्जी एनएएसी मान्यता के दावे किए और छात्रों और अभिभावकों को गुमराह करने के लिए यूजीसी अधिनियम के तहत खुद को गलत तरीके से मान्यता प्राप्त बताया।
बहरहाल, ईडी के एक प्रवक्ता ने कहा है कि मंगलवार सुबह से चल रही तलाशी के दौरान मिले सबूतों के विश्लेषण और पहले से दर्ज ECIR के आधार पर जावेद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया गया है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार प्रवक्ता ने कहा, 'ट्रस्ट की गतिविधियों पर सिद्दीकी का प्रभावी नियंत्रण साबित करने वाले कई ठोस सबूत मिले हैं। ट्रस्ट के फंड को परिवार की निजी कंपनियों में डायवर्ट करना, लेयरिंग करना और अपराध की आय उत्पन्न करना साफ़ तौर पर स्थापित हुआ है। कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया और आज ही कोर्ट में पेश कर ED रिमांड की मांग की गई है।'

संदिग्ध डॉक्टर यूनिवर्सिटी से जुड़े

लाल किले पर हुए विस्फोट में मुख्य संदिग्धों की पहचान अल-फलाह यूनिवर्सिटी में कार्यरत डॉक्टरों के रूप में हुई थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने यूनिवर्सिटी के सभी रिकॉर्ड की फॉरेंसिक ऑडिट कराने के निर्देश दिए थे। अब ईडी ने भी यूनिवर्सिटी और इससे जुड़े अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट को कठघरे में खड़ा कर दिया है।

दो FIR के आधार पर शुरू हुई ईडी की जाँच

ईडी की जांच दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच द्वारा दर्ज दो FIR पर आधारित है। इनमें आरोप है कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने NAAC मान्यता और यूजीसी की धारा 12(बी) के तहत मान्यता के झूठे दावे करके छात्रों, अभिभावकों और हितधारकों को ठगा है। ईडी प्रवक्ता के अनुसार, 'यूजीसी ने साफ़ किया है कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी केवल धारा 2(एफ़) के तहत राज्य निजी विश्वविद्यालय के रूप में सूचीबद्ध है। उसने कभी धारा 12(बी) के लिए आवेदन नहीं किया और वह उस प्रावधान के तहत अनुदान पाने की पात्र भी नहीं है। फिर भी यूनिवर्सिटी ने झूठे दावे कर लोगों को गुमराह किया।'

किस तरह की गड़बड़ियाँ कीं?

प्रवक्ता ने कई गड़बड़ियों को गिनाया। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार प्रवक्ता ने बताया कि निर्माण और खानपान के ठेके ट्रस्ट या जवाद अहमद ने अपनी पत्नी और बच्चों की संस्थाओं को दिए थे। प्रवक्ता ने आगे कहा, 'तलाशी के दौरान 48 लाख रुपये से ज़्यादा की नकदी, कई डिजिटल उपकरण और दस्तावेज़ी सबूत मिले और उन्हें ज़ब्त कर लिया गया। समूह की कई फ़र्ज़ी कंपनियों की पहचान की गई है और कई अन्य क़ानूनों के तहत कई उल्लंघनों का भी पता चला है।'
अंग्रे़ज़ी अख़बार की रिपोर्ट में एक सूत्र के हवाले से कहा गया, 'शुरुआती निष्कर्ष शेल-कंपनी जैसी स्थिति की ओर इशारा करते हैं, जिसमें व्यवसायों का कोई अस्तित्व नहीं, बिजली-पानी का बिल नगण्य, एक ही मोबाइल नंबर-ईमेल, कोई EPFO/ESIC रजिस्ट्रेशन नहीं, नगण्य सैलरी ट्रांसफर और ओवरलैपिंग डायरेक्टर जैसे शेल कंपनी के सभी क्लासिक लक्षण मौजूद हैं।'

आगे की जाँच

ईडी अब इन कथित शेल कंपनियों के बैंक खातों, लेन-देन और विदेशी फंडिंग की गहन पड़ताल कर रही है। साथ ही NAAC व UGC से जुड़े दस्तावेजों की भी दोबारा जांच की जा रही है। लाल किले हमले की मुख्य जांच दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल और एनआईए कर रही है, जबकि वित्तीय मामलों को लेकर ईडी ने अब पूरा अल-फलाह यूनिवर्सिटी को घेर लिया है।