झारखंड में ईडी के छापे।
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को सत्तारूढ़ झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन पर झारखंड को रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए 'धर्मशाला' में बदलने का आरोप लगाया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को सरायकेला में घोषणा की कि अगर झारखंड में भाजपा सत्ता में आती है, तो घुसपैठियों की पहचान करने और उन्हें राज्य से बाहर निकालने के अलावा उनके द्वारा हड़पी गई जमीन को वापस लेने के लिए एक समिति बनाई जाएगी।
किसी भी अपराध की छानबीन और कार्रवाई जरूरी है। लेकिन इन छापों को लेकर तमाम सवाल खड़े हो गए हैं। हो सकता है कि ईडी की यह कार्रवाई भी उचित हो। लेकिन इसका समय जो चुना गया है, वो महत्वपूर्ण है। क्योंकि इन छापों का फायदा भाजपा को मिल सकता है, जिसकी केंद्र में सरकार है और छापा मारने वाली एजेंसी भी केंद्र की है। इस संबंध में सबसे नकारात्मक भूमिका केंद्रीय चुनाव आयोग की है। नियमानुसार किसी भी एजेंसी को चुनाव के दौरान किसी भी कार्रवाई के लिए आयोग से अनुमति लेना पड़ती है। चुनाव आयोग अब विपक्षी दलों पर कार्रवाई के लिए बदनाम हो गया है लेकिन भाजपा नेताओं के खिलाफ उसके एक्शन नदारद हैं। झारखंड और महाराष्ट्र में हिन्दू-मुस्लिम के बीच नफरत फैलाने वाले भाषण भाजपा नेता, उसके मुख्यमंत्री, मंत्री खुलेआम दे रहे हैं लेकिन चुनाव आयोग मौन है।
एफआईआर में शिकायतकर्ता महिला के हवाले से कहा गया है कि उन्हें ब्यूटी सैलून में नौकरी दिलाने के नाम पर लालच देकर कथित तौर पर वेश्यावृत्ति के लिए बांग्लादेश से भारत में लाया गया था।