बिहार में जिस विशेष गहन संशोधन यानी एसआईआर पर ज़बर्दस्त विवाद हुआ, उस एसआईआर को अब पूरे देश में शुरू किया जाएगा। चुनाव आयोग सोमवार को मतदाता सूचियों के एसआईआर के देशव्यापी कार्यक्रम की तारीखों की घोषणा करेगा। हालाँकि, पहले चरण में कुछ राज्यों में ही एसआईआर किए जाने की संभावना है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, निर्वाचन आयुक्त सुखबीर सिंह संधू और विवेक जोशी 26 अक्टूबर को शाम 4:15 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी घोषणा करेंगे। 

हालाँकि, चुनाव आयोग के मीडिया निमंत्रण में विषय का साफ़ उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि यह प्रेस वार्ता एसआईआर के कार्यक्रम से संबंधित होगी। चुनाव आयोग ने दो दिन पहले ही मद्रास हाईकोर्ट को भी बताया था कि तमिलनाडु में एक हफ्ते के अंदर एसआईआर शुरू हो जाएगा। इसी हफ़्ते चुनाव आयोग ने राज्यों के सीईओ की बैठक की थी। द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि यह अभियान 1 नवंबर से शुरू हो सकता है और पहले चरण में 10 से 15 राज्यों को कवर करेगा। इसमें 2026 में विधानसभा चुनाव होने वाले असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल प्रमुख हैं। जिन राज्यों में स्थानीय निकाय चुनाव होने वाले हैं उन राज्यों को फिलहाल बाहर रखा जा सकता है।
यह कदम पिछले दो दशकों में मतदाता सूचियों के डिजिटलीकरण होने के बाद पहली बार होने वाले पूर्ण गहन संशोधन का हिस्सा है। बिहार में इसका आखिरी गहन संशोधन 2003 में हुआ था, जहां हाल ही में संपन्न एसआईआर से 68.66 लाख नाम हटाए गए। यानी मतदाताओं में क़रीब 6 प्रतिशत की कमी आई। जून 2025 के आदेश में चुनाव आयोग ने कहा था कि पिछले 20 वर्षों में तेजी से शहरीकरण, प्रवास और अन्य कारणों से सूचियों में बड़े पैमाने पर जोड़-घटाव हुआ है, जिससे डुप्लिकेट एंट्रीज बढ़ गई है और संभावित रूप से विदेशी नागरिक भी इसमें शामिल हो गए हैं।

एसआईआर की तैयारी बैठक

चुनाव आयोग ने 21-23 अक्टूबर को आयोजित दो दिवसीय मुख्य निर्वाचन अधिकारी यानी सीईओ सम्मेलन में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की तैयारियों की समीक्षा की थी। सम्मेलन में सीईओ ने पिछले एसआईआर के आधार पर वर्तमान मतदाताओं की मैपिंग पूरी होने की जानकारी दी। दिल्ली जैसे राज्यों में 2008 की अंतिम गहन सूची वेबसाइट पर उपलब्ध है। चुनाव आयोग की इस बैठक के बाद कार्यक्रम अंतिम रूप ले चुका है। अब रिपोर्टें हैं कि पहला चरण अगले सप्ताह से शुरू हो सकता है।

एसआईआर क्या है? 

विशेष गहन संशोधन यानी एसआईआर मतदाता सूचियों को तैयार करने की बड़ी प्रक्रिया है, जिसमें सभी पंजीकृत मतदाताओं को नए गणना फॉर्म जमा करने होते हैं। यह वार्षिक या चुनाव पूर्व विशेष सारांश संशोधन यानी एसएसआर से अलग है, जो केवल नाम जोड़ने या हटाने तक सीमित रहता है। आयोग के 24 जून 2025 के आदेश में कहा गया, 'पिछले 20 वर्षों में बड़े पैमाने पर जोड़-घटाव से सूचियों में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। शिक्षा, आजीविका और अन्य कारणों से तेज प्रवास आम हो गया है।' चुनाव आयोग ने एसआईआर का प्रमुख मक़सद बताया है-
  • डुप्लिकेट प्रविष्टियां हटाना
  • मृतकों और स्थानांतरित लोगों को हटाना
  • विदेशी नागरिकों की जांच
  • नए मतदाताओं को जोड़ना।

पहला चरण: 2026 चुनावी राज्यों पर फोकस

रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि पहला चरण नवंबर 1 से शुरू हो सकता है और असम, केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों को प्राथमिकता मिलेगी जहाँ 2026 में चुनाव होने हैं। कुल 10-15 राज्य शामिल हो सकते हैं, लेकिन स्थानीय निकाय चुनाव वाले राज्यों को बाद के चरणों में रखा जाएगा, क्योंकि वहां चुनावी मशीनरी व्यस्त रहेगी। अधिकांश राज्य 2002-2004 की पिछली एसआईआर सूचियों का मैपिंग पूरा कर चुके हैं। 
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

बिहार का अनुभव: 68.66 लाख नाम हटे

बिहार में इस साल की शुरुआत में शुरू हुए एसआईआर ने मिसाल कायम की। 8 करोड़ मतदाताओं में से 68.66 लाख नाम यानी कुल का 6% हटाए गए। चुनाव आयोग ने कहा है कि हटाए गए लोगों में मृतक, स्थानांतरित, डुप्लिकेट और अयोग्य मतदाता शामिल थे। अंतिम सूची 30 सितंबर को प्रकाशित हुई, जिसमें 7.42 करोड़ सक्रिय मतदाता हैं। 

सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित

24 जून 2025 के चुनाव आयोग के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह प्रक्रिया मतदाताओं पर अतिरिक्त बोझ डालती है। हालाँकि, कोर्ट ने एसआईआर को चुनौती नहीं दी, लेकिन आधार, राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को मान्य करने का आदेश दिया। अदालत ने बिहार में जल्दबाजी में कराए गए एसआईआर पर भी सवाल उठाया। चुनाव आयोग का कहना है कि यह संवैधानिक दायित्व है, और प्रक्रिया पारदर्शी होगी। हालाँकि यह मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।