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संसदीय पैनल ने की महुआ के निष्कासन की सिफारिश; टीएमसी ने उठाए सवाल

क्या महुआ मोइत्रा का लोकसभा से निष्कासन अब तय है? कम से कम लोकसभा की आचार समिति ने तो गुरुवार को ऐसी ही सिफारिश कर दी है। महुआ मोइत्रा के खिलाफ बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे द्वारा लगाए गए 'सवाल के बदले पैसे लेने' के आरोपों के मामले में लोकसभा की यह समिति ने यह फ़ैसला लिया है। समिति ने एक मसौदा रिपोर्ट अपनाने के बाद उन्हें सदन से निष्कासित करने की सिफारिश की। लोकसभा की समिति से झटके के बीच महुआ को पार्टी की तरफ़ से समर्थन मिला है। पार्टी में दूसरे सबसे बड़े नेता अभिषेक बनर्जी ने कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं।

अभिषेक बनर्जी ने क्या कहा है, यह जानने से पहले यह जान लें कि लोकसभा की समिति ने क्या फ़ैसला लिया है और इसको लेकर क्या कहा गया है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार आचार समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार सोनकर ने कहा है कि गुरुवार को एक बैठक में आचार समिति के छह सदस्यों ने सिफारिश वाली रिपोर्ट का समर्थन किया, जबकि चार ने इसका विरोध किया।

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लोकसभा का इथिक्स पैनल महुआ मोइत्रा के ख़िलाफ़ बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच कर रहा था। निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया है कि महुआ ने व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के कहने पर लोकसभा में सवाल पूछने के लिए रिश्वत ली और अन्य लाभ लिया। हालाँकि महुआ ने कैश-फॉर-क्वेरी के आरोपों का खंडन किया है, लेकिन उन्होंने व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी को अपना संसदीय लॉगइन आईडी पासवर्ड देने की बात स्वीकार की है। एथिक्स कमेटी ने दस्तावेजों और सबूतों के साथ तीन मंत्रालयों से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर उन्हें तलब किया था। 

इस मामले में आज यानी गुरुवार को सुबह ही सूत्रों के हवाले से ख़बर आई थी कि समिति ने महुआ ने निष्कासन की सिफारिश कर दी है। इस पर टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी ने सवाल उठाए। टीएमसी की ओर से महुआ मामले में यह पहली प्रतिक्रिया है। अभिषेक ने महुआ का समर्थन किया है।
टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा कि महुआ को राजनीति का शिकार बनाया गया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह अपनी लड़ाई खुद लड़ने में सक्षम हैं।

भाजपा पर तृणमूल नेताओं को निशाना बनाने का आरोप लगाते हुए अभिषेक ने कहा, 'मुझे लगता है कि यह केंद्र सरकार का कदम है और मैंने एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट के बारे में पढ़ा है। उन्होंने कहा है कि उनके खिलाफ जांच होनी चाहिए। यदि आपके पास महुआ के खिलाफ कुछ भी नहीं है तो यह जांच का विषय है कि निष्कासन की सिफारिश क्यों की गई है? मुझे लगता है कि महुआ अपनी लड़ाई खुद लड़ने में सक्षम हैं। वे मुझे भी चार साल से प्रताड़ित कर रहे हैं, यह उनका मानक अभ्यास है।' 

महुआ मोइत्रा मामले के संबंध में इस समय तृणमूल में नंबर 2 माने जाने वाले अभिषेक बनर्जी की ये पहली टिप्पणी है। अब तक महुआ के खिलाफ आरोपों पर टिप्पणी करने में तृणमूल ने काफी सावधानी बरती है। 

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ममता बनर्जी की पार्टी ने बार-बार सत्तारूढ़ भाजपा पर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों और अन्य संस्थानों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। लेकिन महुआ के मामले में टीएमसी की ओर से कुछ बयान नहीं आया था। हालाँकि दूसरे मामलों में वह बेहद आक्रामक रही है। अब इसने महुआ मामले में कार्रवाई पर सवाल उठाया है। वैसे, आचार समिति पर पिछली बैठक में भी कई आरोप लगे थे। लोकसभा की इथिक्स कमेटी ने क़रीब एक हफ्ते पहले महुआ मोइत्रा से पूछताछ की थी। लेकिन इस पूछताछ में इथिक्स कमेटी पर ही अनइथिकल होने का आरोप लग गया था। 

दो नवंबर को हुए घटनाक्रम में लोकसभा की आचार समिति की बैठक में ही हंगामा हो गया था। आरोपों का जवाब देने के लिए आचार समिति यानी इथिक्स पैनल के सामने महुआ पेश तो हुई थीं, लेकिन कुछ देर बाद ही वह बैठक से तमतमाई हुई बाहर निकल गईं। महुआ और पैनल में शामिल विपक्षी दलों के सदस्यों ने व्यक्तिगत और अनैतिक सवाल पूछने के आरोप लगाए थे। 

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आचार समिति के सामने पेश होने के बाद संसद भवन से बाहर निकलते हुए महुआ ने आरोप लगाया था, 'यह किस तरह की बैठक थी? वे हर तरह के गंदे सवाल पूछ रहे हैं।' उन्होंने पत्रकारों के सामने कहा था, "वे कुछ भी पूछ रहे हैं। कोई भी बकवास कर रहे हैं। 'आपकी आँखों में आँसू हैं'। क्या मेरी आँखों में आँसू हैं, आपको आँसू दिख रहे हैं?"

समिति में शामिल विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया था कि महुआ से व्यक्तिगत और अनैतिक प्रश्न पूछे गए। जब एक पत्रकार ने पूछा कि वे बैठक से क्यों चले गए तो एक अन्य विपक्षी सांसद ने कहा था 'बहुत ज्यादा हो गया था'।

कांग्रेस सांसद और पैनल के सदस्य एन उत्तम कुमार रेड्डी ने आरोप लगाया था कि विपक्षी सदस्यों को पैनल अध्यक्ष द्वारा मोइत्रा से पूछे गए सवाल अमर्यादित और अनैतिक लगे।
इन आरोपों पर आचार समिति के अध्यक्ष विनोद सोनकर ने कहा था कि महुआ मोइत्रा ने अपनी जिरह के दौरान सहयोग नहीं किया और सवालों का सामना करने से बचने के लिए बाहर चली गईं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि पैनल की कार्यप्रणाली और मेरे खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया।
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बता दें कि महुआ से जुड़े कैश-फॉर-क्वेरी के आरोप पिछले महीने तब सामने आए जब बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखकर दावा किया कि महुआ ने हीरानंदानी समूह के हितों की रक्षा के लिए रिश्वत ली। दुबे ने आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव से आग्रह किया था कि वे लोकसभा के लिए मोइत्रा के लॉग-इन क्रेडेंशियल के आईपी पते की जांच करें ताकि यह जांचा जा सके कि क्या उन तक किसी और की पहुंच थी।

इसके बाद दर्शन हीरानंदानी ने एक हलफनामा देकर दावा किया था कि महुआ ने उन्हें संसदीय लॉगइन आईडी और पासवर्ड दिया था ताकि वह उनकी ओर से सवाल पोस्ट कर सकें। हीरानंदानी ने लोकसभा की आचार समिति को वह हलफनामा दिया था। अब निशिकांत दुबे ने बुधवार को ही दावा किया है कि "लोकपाल ने मेरी शिकायत पर आरोपी सांसद महुआ के राष्ट्रीय सुरक्षा को गिरवी रखकर भ्रष्टाचार करने पर सीबीआई जाँच का आदेश दिया है"।

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क़मर वहीद नक़वी
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