प्रस्ताव में भारत से अपील की गई है कि वह लोगों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार का समर्थन करे और भारत को कई अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों के लिए उसके संकल्पों की याद दिलाते हुए कहा गया है कि ये संकल्प जाति, रंग, वंश के आधार पर किसी को नागरिकता देने से रोकते हैं। इस प्रस्ताव को तैयार करने वाले सांसदों ने नागरिकता क़ानून की पुरजोर निंदा की है।
भारत में विपक्षी दलों की कुछ राज्य सरकारों ने इस क़ानून के विरोध में अपनी विधानसभाओं में प्रस्ताव पास किया है। केरल, छत्तीसगढ़ की सरकार ने इस क़ानून के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है।