प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूरोपीय संघ के शीर्ष नेताओं के साथ एक ऐतिहासिक बातचीत में भारत-ईयू मुक्त व्यापार समझौते को जल्द पूरा करने और यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाने का आह्वान किया है। इसके साथ ही, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा यानी आईएमईईसी के कार्यान्वयन और द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने पर भी विचार-विमर्श हुआ।

पीएम मोदी ने यूरोपीय संघ यानी ईयू के शीर्ष नेताओं, यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा के साथ एक संयुक्त फोन कॉल के माध्यम से चर्चा की। इस संयुक्त कॉल में तीनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि इस समझौते को वर्ष 2025 के अंत तक अंतिम रूप दे दिया जाना चाहिए। पीएम मोदी ने इस समझौते को भारत-ईयू रणनीतिक साझेदारी का एक अहम हिस्सा बताया। यह साझेदारी व्यापार, प्रौद्योगिकी, निवेश, नवाचार, स्थिरता, रक्षा, सुरक्षा और आपूर्ति श्रृंखला की मजबूती जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देगी। 
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यूरोपीय व्यापार आयुक्त मारोस सेफकोविक के अगले सप्ताह नई दिल्ली आने की संभावना है। इससे इस व्यापार सौदे पर चर्चा को और तेज होने का संकेत मिलता है। यह समझौता दोनों पक्षों के लिए अहम है, खासकर तब जब वैश्विक व्यापार में अनिश्चितताएँ बढ़ रही हैं। खासकर अमेरिका की हालिया व्यापार नीतियों और टैरिफ़ के कारण।

यूक्रेन युद्ध पर भारत की भूमिका

इस कॉल में यूक्रेन में चल रहे युद्ध पर भी विस्तार से चर्चा हुई। पीएम मोदी ने भारत की लगातार इस स्थिति को दोहराया कि वह यूक्रेन में शांति और स्थिरता की जल्द बहाली के लिए शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करता है। यूरोपीय नेताओं ने भारत की इस भूमिका की सराहना की और कहा कि भारत रूस को अपनी आक्रामकता को ख़त्म करने और शांति की दिशा में अहम भूमिका निभा सकता है। 
उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, 'यूक्रेन युद्ध के वैश्विक सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता पर काफ़ी असर है। भारत का यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ निरंतर संवाद एक सकारात्मक क़दम है।'
इसके अलावा विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने यूक्रेनी समकक्ष आंद्री सिबिहा के साथ बातचीत की और भारत के इस रुख को दोहराया। सिबिहा ने कहा कि वह और जयशंकर न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च-स्तरीय सप्ताह के दौरान मुलाकात करेंगे ताकि द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत किया जा सके।

भारत-ईयू रणनीतिक साझेदारी

तीनों नेताओं ने भारत-ईयू रणनीतिक साझेदारी की भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह साझेदारी वैश्विक मुद्दों को संयुक्त रूप से निपटने, स्थिरता को बढ़ावा देने और नियमों का पालन करने वाली वैश्विक व्यवस्था को बढ़ावा देने में अहम है। इस बातचीत में भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा यानी आईएमईईसी के कार्यान्वयन पर भी चर्चा हुई, जो क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और आर्थिक सहयोग को बढ़ाने में एक अहम कदम है।
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इसके अलावा नेताओं ने व्यापार, प्रौद्योगिकी, निवेश, नवाचार, स्थिरता, रक्षा, सुरक्षा और आपूर्ति श्रृंखला जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति का स्वागत किया। पीएम मोदी ने यूरोपीय नेताओं को अगले भारत-ईयू शिखर सम्मेलन के लिए भारत आने का निमंत्रण दिया। यह सम्मेलन के 2026 की शुरुआत में नई दिल्ली में आयोजित होने की उम्मीद है।

वैश्विक मंच पर भारत

यह बातचीत ऐसे समय में हुई है जब वैश्विक मंच पर भारत की कूटनीतिक स्थिति मजबूत हो रही है। हाल ही में तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी की रूस और चीन के नेताओं के साथ तस्वीर ने अमेरिकी मीडिया में हलचल मचा दी है। इसके विपरीत, यूरोपीय संघ के साथ यह बातचीत भारत की उस नीति को दिखाती है जिसमें वह विभिन्न वैश्विक शक्तियों के साथ संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। 
पीएम मोदी और यूरोपीय नेताओं के बीच यह बातचीत भारत-ईयू संबंधों में एक नया अध्याय शुरू करने की दिशा में एक अहम कदम है। मुक्त व्यापार समझौते को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने और यूक्रेन में शांति स्थापित करने के लिए भारत की भूमिका पर जोर देना वैश्विक कूटनीति में भारत की बढ़ती ताकत को दिखाता है।