क्या किसी विज्ञापन से किसी उत्सव फीका हो सकता है? क्या किसी विज्ञापन में उर्दू के शब्दों के इस्तेमाल से किसी को आपत्ति हो सकती है? कम से कम कुछ बीजेपी नेताओं सहित दक्षिणपंथियों को तो आपत्ति है। उनके निशाने पर इस बार कपड़ा का ब्रांड फैबइंडिया है। उनकी आपत्ति फैबइंडिया के उस कलेक्शन के विज्ञापन से है जिसका नाम इसने 'जश्न-ए-रिवाज़' दिया है। इस पर बीजेपी नेताओं ने ऐसी आपत्ति की और सोशल मीडिया पर इसके बहिष्कार का अभियान चलाया कि फैबइंडिया को अपना विज्ञापन हटाना पड़ा। पिछले साल भी दिवाली से पहले तनिष्क के विज्ञापन पर ऐसी ही आपत्ति की गई थी और उसको भी हिंदू-मुसलिम के तौर पर पेश कर विरोध प्रदर्शन किया गया था। उसे भी विज्ञापन हटाना पड़ा था।