किसान आंदोलन के लिए पंजाब पहले से मशहूर है। पगड़ी संभाल जट्टा आंदोलन 1907 में अंग्रेजों के खिलाफ पंजाब के किसानों ने शुरू किया था। इसका नेतृत्व शहीद-ए-आजम भगत सिंह के दादा सरदार अजीत सिंह ने किया था। अजीत सिंह के साथ उस समय हर समुदाय के लोग शामिल थे। इसकी शुरुआत लायलपुर से हुई थी। लायलपुर अब पाकिस्तान में है। प्रसिद्ध गायक बांके दयाल ने 3 मार्च 1907 को लायलपुर की रैली में इस पर एक गीत भी गाया था। उसके बाद पगड़ी संभाल जट्टा एक सशक्त नारा बन गया।
इसी तरह एक प्रभावशाली वक्ता के रूप में पहचान बनाने वाले केएमएससी के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने धीरे-धीरे खुद को माझा में किसान आंदोलन के एक बड़े नेता के रूप में स्थापित कर लिया है। वो एक अमृतधारी सिख हैं, जो अपनी सच्चाई, ईमानदारी और मजबूत इरादों के लिए जाने जाते हैं। पंधेर ने आनंदपुर साहिब के सिख मिशनरी कॉलेज से पढ़ाई की है। वह लंबे समय तक बीकेयू (उगराहां) की जिला इकाई के अध्यक्ष भी रहे।
पंजाब से किसान आंदोलन के पुराने चेहरे
बीकेयू (उगराहां) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां ने करीब डेढ़ साल तक सेना में सेवा की। बाद में, वह 1979 में नौजवान भारत सभा में शामिल हो गए। 1984 में, वह भूपिंदर सिंह मान की अध्यक्षता में बीकेयू में शामिल हो गए। 1989 में विभाजन के बाद, वह बीकेयू (लाखोवाल) और बाद में बीकेयू (सिद्धूपुर) में शामिल हो गए। उन्होंने बीकेयू (उगराहां) की स्थापना की, जिसकी राज्य में लगभग 2,000 इकाइयाँ हैं।