राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि वर्ण और जाति व्यवस्था को अब भूल जाना चाहिए। मोहन भागवत ने यह बात शुक्रवार को नागपुर में आयोजित एक पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में कही। संघ प्रमुख ने कहा कि अब समाज में जाति व्यवस्था की कोई प्रासंगिकता नहीं रह गई है।
वर्ण और जाति अतीत की बात, इसे भुला देना चाहिए: भागवत
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- 8 Oct, 2022
संघ प्रमुख मोहन भागवत के इस ताजा बयान के बाद एक बार फिर यह सवाल खड़ा हुआ है कि क्या आरएसएस बदल रहा है।

डॉक्टर मदन कुलकर्णी और डॉक्टर रेणुका बोकारे द्वारा लिखित पुस्तक वज्रसूची टुंक का हवाला देते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि सामाजिक समानता भारतीय परंपरा का एक हिस्सा थी लेकिन इसे भुला दिया गया और इसके बेहद नुकसानदेह परिणाम हुए।
संघ प्रमुख ने कहा कि वर्ण और जाति व्यवस्था में मूल रूप से भेदभाव नहीं था। उन्होंने कहा कि अगर आज कोई इसके बारे में बात करता है तो समाज के हित में सोचने वालों को बताना चाहिए कि वर्ण और जाति अतीत की बात है और अब इसे भुला दिया जाए। भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि हर वह चीज जो भेदभाव पैदा करती है उसे मिटा दिया जाना चाहिए।