सरकार ने 2009 में इस परियोजना को यह कह कर बंद कर दिया कि नागरिकता का मुद्दा बहुत ही उलझाने वाला है और कई क्षेत्रों, ख़ास कर गाँवों में डेटा इकट्ठा करना लगभग नामुमकिन है।
पायलट प्रोजेक्ट बंद करते समय यह कहा गया कि ग्रामीण इलाक़ों में आँकड़े एकत्रित करना बेहद मुश्किल है, ख़ास कर, खेतिहर मज़दूर, भूमिहीन मज़दूर, विवाहित स्त्रियाँ और जिनका स्थायी ठिकाना नहीं था, उनके आँकड़े जुटाने का कोई उपाय नहीं था।
एमएनआईसी यानी मल्टीपरपज़ नेशनल आईडेंटिटीफिकेशन कार्ड के पायलट प्रोजेक्ट को बंद करते समय यह मान लिया गया कि कुछ मामलों में आंकड़े एकत्रित करना मुमकिन ही नहीं है।