loader

रामदेव के निजी शिक्षा बोर्ड के लिए अपने ही नियमों का उल्लंघन किया केंद्र ने

केंद्र सरकार ने नियम- क़ानूनों की अवहेलना की और अपनी ही स्वायत्त संस्था की सिफ़ारिशों की जानबूझ कर अनदेखी की ताकि रामदेव के पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को निजी परीक्षा बोर्ड की स्थापना करने का मौका दिया जा सके।

यह सब अफ़रातफरी और बेहद जल्दबाजी में किया गया ताकि 2019 के लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के ठीक पहले तमाम फ़ैसले ले लिए जाएँ। 

रामदेव का प्रस्तावित भारतीय शिक्षा बोर्ड राष्ट्रीय स्तर पर स्कूलों को अपने से जोड़ेगा, अलग पाठ्यक्रम तय करेगा, अलग परीक्षाएँ लेगा और अलग सर्टिफिकेट देगा। यह निजी शिक्षा बोर्ड होगा और इसके ज़रिए वैदिक शिक्षा दी जाएगी। 

ख़ास ख़बरें

सरकारी एजेंसी ने किया विरोध

तमाम परीक्षा बोर्ड केंद्र या किसी न किसी राज्य या केंद्र शासित क्षेत्र की सरकार से संचालित होता है, रामदेव का भारतीय शिक्षा बोर्ड राष्ट्रीय देश का पहला निजी बोर्ड होता। 

'इंडियन एक्सप्रेस' के अनुसार, केंद्र द्वारा संचालित स्वायत्त संस्था महर्षि संदिपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान (एमएसआरवीवीपी) ने इसका विरोध किया था। 

यह संस्था शिक्षा मंत्रालय के तहत काम करती है और इसका उद्येश्य वेद विद्या को बचाना और उसके प्रति लोगों को उत्साहित करना है। यह मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है। 

govt violates rule to favour ramdev, patanjali for vedic education - Satya Hindi
प्रकाश जावडेकर, मानव संसाधन मंत्री

जनवरी 2019 में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की एक बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने की थी। इस बैठक में एमएसआरवीवीपी से कहा गया कि वह भारतीय शिक्षा बोर्ड (बीएसबी) की स्थापना के लिए एक निजी निकाय की तलाश करे। 

बीएसबी का गठन इसलिए किया जाना था कि भारतीय पारंपरिक ज्ञान के आधुनिक शिक्षा के साथ जोड़ा जा सके । 

एमएसआरवीवीपी के सचिव वी. जेड्डीपाल ने केंद्र सरकार को अलग-अलग तीन चिट्ठियाँ लिखीं, जिसमें उन्होंने बीएसबी की स्थापना की अंतिम अनुमति देने से इनकार कर दिया था।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार उन्हें यह अनुमति देने का आदेश दे तो ही वे ऐसा कर सकते हैं। 

केंद्र सरकार ने अपनी ही संस्था के सचिव की आपत्तियों को दरकिनार कर दिया। इसके उपकुलपति रवींद्र अंबादास मुले ने 9 मार्च, 2019 की रात को बीएसबी के स्थापना की इजाज़त दे दी।  उसके कुछ घंटे बाद ही आम चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई। 

govt violates rule to favour ramdev, patanjali for vedic education - Satya Hindi

एजेंडे में नहीं था, फिर भी चर्चा

'इंडियन एक्सप्रेस' ने सिलसिलेवार ढंग से इस बारे में विस्तार से बताया है। उसके अनुसार, 11 और 16 जनवरी को गवर्निंग कौंसिल की बैठक हुई, जिसमें एमएसआरवीवीपी ने अपने वैदिक शिक्षा बोर्ड के गठन का प्रस्ताव रखा। उसका कहना था कि दसवीं (वेद भूषण), 12वीं (वेद विभूषण) की डिग्री को मान्यता प्राप्त नहीं है। 

लेकिन इस बैठक में इसके बाद एजेंडे से हट कर बात हुई। गवर्निंग कौंसिल से कहा गया कि वह वैदिक शिक्षा के लिए भारतीय शिक्षा बोर्ड के गठन की तैयारी करे, इसके लिए नियम क़ानून बनाए और निजी कंपनियों को बोर्ड गठित करने और उसे चलाने के लिए न्योता दे।

यह नहीं बताया गया कि यकायक इस बैठक के एजेंडे से बाहर के मुद्दे पर चर्चा क्यों हुई और क्यों एक नए बोर्ड के गठन की बात कही गई।

तीन प्रस्ताव

एसएमआरवीवीपी ने निजी बोर्ड के गठन से जुड़ी सूचना जारी की और 'एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट' जमा करने को कहा गया। अमूमन दो सप्ताह का समय दिया जाता है, पर इस मामले में सिर्फ एक सप्ताह का समय दिया गया। 

एमएसआरवीवीपी को 19-23 फरवरी, 2019 के बीच तीन प्रस्ताव मिले। महाराष्ट्र अकेडेमिक ऑफ इंजीनियरिंग एंड एजुकेशनल रिसर्च पुणे, ऋतानंद बालवेद एजुकेशन फ़ाउंडेशन और पतंजलि योगपीठ ट्र्स्ट ने एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट जमा किए।

पतंजलि ने सबसे ज़्यादा 21 करोड़ रुपए की पूंजी लगाने का प्रस्ताव दिया और उसके पक्ष में फ़ैसला लिया गया। 

जेड्डीपाल ने 8 मार्च 2019 को मानव संसाधन मंत्री जावडेकर को एक चिट्ठी लिख कर कहा कि उन्हें मंत्रालय से मौखिक आदेश दिया गया कि वे पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दें।

बाद के ई-मेल से पता चलता है कि जेड्डीपाल ने न तो इसकी अनुमति द न ही उन्होंने ई-मेल का जवाब दिया। उन्होंने अपना फ़ोन भी स्विच ऑफ़ कर लिया।

इसके बाद जावडेकर ने एमएसआरवीवीपी के उपकुलपति रवींद्र अंबादास मुले से शाम के 7.30 बजे शाम को कहा कि वे इसे मंजूरी दे दें। मुले ने रामदेव के पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट के प्रस्ताव को 8.36 बजे रात को मंजूरी दे दी।  

अगले दिन यानी 10 मार्च, 2019 को चुनाव आचार संहिता लागू हो गई। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें