केंद्र सरकार ने नियम- क़ानूनों की अवहेलना की और अपनी ही स्वायत्त संस्था की सिफ़ारिशों की जानबूझ कर अनदेखी की ताकि रामदेव के पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को निजी परीक्षा बोर्ड की स्थापना करने का मौका दिया जा सके।