मोदी सरकार जीएसटी सुधारों पर जहां अपनी पीठ थपथपा रही है, वहीं कांग्रेस ने उसके इस जश्न पर पानी फेर दिया। कांग्रेस ने इसे महज़ ‘जीएसटी 1.5’ करार दिया। उसने कहा कि वो ‘सच्चे जीएसटी 2.0’ से कम है, जिसका देश अभी भी इंतजार कर रहा है। कांग्रेस ने अपनी मांग दोहराई कि सभी राज्यों को 2024-25 को आधार वर्ष मानते हुए पांच साल की अवधि के लिए मुआवजा दिया जाए, तथा तर्क दिया कि जीएसटी दरों में नई कटौती से राज्यों के राजस्व पर अनिवार्य रूप से दबाव पड़ेगा।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- मोदी सरकार ने “One Nation, One Tax” को "One Nation, 9 Taxes" बना दिया था। जिसमें 0%, 5%, 12%, 18%, 28% के Tax Slabs शामिल थे और 0.25%, 1.5%, 3% व 6% की विशेष दरें थीं। कांग्रेस पार्टी ने अपने 2019 और 2024 के घोषणापत्रों में सरल और तर्कसंगत कर व्यवस्था के साथ GST 2.0 की माँग की थी। हमने GST के जटिल Compliances को भी सरल बनाने की माँग की थी, जिससे MSMEs और छोटे व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुए थे। 28 फ़रवरी 2005 को Congress-UPA सरकार ने लोक सभा में GST की औपचारिक घोषणा की थी। 2011 में जब तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुख़र्जी जी GST Bill लेकर आए तब भाजपा ने उसका विरोध किया था। जब मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने GST का घोर विरोध किया था।

अरबपतियों से सिर्फ 3% GST वसूली क्योंः खड़गे

खड़गे ने कहा कि कुल GST का दो-तिहाई यानी 64% हिस्सा गरीबों और मध्यम वर्ग की जेब से आता है, लेकिन अरबपतियों से केवल 3% GST वसूला जाता है, जबकि Corporate Tax की दर 30% से घटाकर 22% कर दी गई है। पहली बार किसानों पर टैक्स लगाया गया है। इस मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र की कम से कम 36 वस्तुओं पर GST थोपा था। दूध-दही, आटा-अनाज, यहाँ तक कि बच्चों की पेन्सिल-किताबें, ऑक्सीजन, insurance और हस्पताल के खर्च जैसी रोज़मर्रा की चीज़ों पर भी मोदी सरकार ने GST टैक्स थोपा। इसीलिए हमने भाजपा के इस GST को "गब्बर सिंह टैक्स" का नाम दिया।
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जीएसटी राहत की वजह ट्रंप टैरिफ या बिहार चुनावः चिदंबरम   

पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि चिदंबरम ने कहा, "यह जानना दिलचस्प होगा कि सरकार को ये बदलाव करने के लिए किसने प्रेरित किया: सुस्त विकास? बढ़ता घरेलू कर्ज? घटती घरेलू बचत? बिहार में चुनाव? ट्रंप और उनके टैरिफ? ये सभी?" चिदंबरम ने लिखा, "जीएसटी को तर्कसंगत बनाना और कई वस्तुओं व सेवाओं पर दरों में कमी स्वागत योग्य है, लेकिन 8 साल की देरी हो चुकी है। जीएसटी का मौजूदा स्वरूप और आज तक प्रचलित दरें शुरू में ही लागू नहीं होनी चाहिए थीं। हम पिछले 8 सालों से जीएसटी के स्वरूप और दरों के खिलाफ लगातार आवाज उठा रहे हैं, लेकिन हमारी दलीलों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।"

टीएमसी ने ममता बनर्जी को श्रेय दिया  

टीएमसी ने जीवन और स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों को जीएसटी से मुक्त करने के सरकार के फैसले का श्रेय लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि हाल ही में घोषित जीएसटी सुधार डोनाल्ड ट्रम्प के 50% टैरिफ दबाव को कम करने की दिशा में एक कदम है। एक्स पर एक पोस्ट में, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि यह कदम पार्टी सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लगातार दबाव के बाद उठाया गया है।

आनंद महिन्द्रा ने तेज़ सुधार पर ज़ोर दिया

महिंद्रा समूह के अध्यक्ष आनंद महिंद्रा ने केंद्र सरकार के ऐतिहासिक "नेक्स्टजेन जीएसटी" सुधारों की सराहना करते हुए इसे उपभोग और निवेश को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम बताया। लेकिन आनंद ने सरकार से "और तेज़ सुधारों" को आगे बढ़ाने का आग्रह किया। स्वामी विवेकानंद के "उठो, जागो और लक्ष्य प्राप्त होने तक रुको नहीं" के आह्वान का हवाला देते हुए, उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था और वैश्विक आवाज़ के विस्तार के लिए निरंतर गति की आवश्यकता पर बल दिया। 

एक तीर, कई निशानेः नीलेश शाह 

जीएसटी स्लैब राहत को कोटक महिन्द्रा ग्रुप के एमडी नीलेश शाह ने "एक तीर, कई निशाने" कहा है। शाह ने कहा-  इससे मुद्रास्फीति कम होगी और विकास दर बढ़ेगी। उपभोक्ताओं को बढ़ावा मिलेगा। यह व्यापार करने में आसानी बढ़ाएगा और अनुचित अमेरिकी टैरिफ के प्रतिकूल प्रभावों को आंशिक रूप से कम करेगा।