अक्टूबर 2019 में केंद्र सरकार ने सेंट्रल विस्टा का इंटरनेशनल टेंडर जारी किया था। लेकिन टेंडर पास हुआ पटेल की कंपनी एचसीपी डिज़ाइन्स का। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने उस समय आधिकारिक तौर पर बताया था कि पटेल की फर्म को परामर्श सेवाओं के लिए 229.75 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा, परियोजना का मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा, जिसमें डिजाइन, लागत अनुमान, परिदृश्य और यातायात एकीकरण योजनाएं और पार्किंग सुविधाएं शामिल होंगी। तब विपक्ष ने इसकी बहुत आलोचना की थी। लोगों ने कहा था- “वह (बिमल पटेल) गुजरात के कुछ वास्तुकार हैं जो मोदी को जानते हैं। वह दिल्ली या इसके इतिहास के बारे में क्या जानते हैं?”
2014 में मोदी के प्रधान मंत्री बनने के बाद, बिमल पटेल को एक बार फिर मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में ऐतिहासिक काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण की जिम्मेदारी दी गई। इस परियोजना का उद्देश्य 2021 तक प्रमुख हिंदू मंदिरों में से एक को गंगा के तीन मुख्य घाटों, लगभग 320 मीटर की दूरी से जोड़ना था। यह काम हुआ लेकिन अयोध्या की तरह पूरा बनारस उजड़ गया। लोगों के सदियों पुराने घर और कई प्राचीन मंदिर इस कॉरिडोर के लिए गिरा दिए गए। वाराणसी के लोगों ने इसे पसंद नहीं किया। हालांकि मोदी 2024 का लोकसभा चुनाव वाराणसी से जीत गए, लेकिन उनकी जीत का अंतर कुल डेढ़ लाख वोट रह गया। जबकि उनके 10 लाख वोटों से जीतने का दावा किया जा रहा था। अयोध्या में बनारस जैसी तबाही हुई। वहां की फैजाबाद लोकसभा सीट भाजपा हार गई। वहां से सपा के अवधेश प्रसाद जीते जो दलित हैं। फैजाबाद यानी अयोध्या की हार ने यूपी की राजनीति को इस समय बदल दिया है।