तेजस लड़ाकू विमान
तेजस प्रोजेक्ट 1984 में शुरू हुआ था। लेकिन भारत ने जब पोखरण में परमाणु परीक्षण किया तो 1998 में उस पर यूएस ने कई तरह के प्रतिबंध लगा दिये। एचएएल के सीएमडी डी के सुनील का कहना है कि इस प्रतिबंध ने हमारे रास्ते में कई रुकावटें खड़ी कर दीं। सीएमडी ने भरोसा दिया कि एचएएल तय समय पर प्रोजेक्ट पूरा करेगा। साथ ही वायुसेना को ऑर्डर भी पूरा करेगा। सीएमडी ने कहा कि एचएएल सुस्त नहीं है।
एचएएल के सीएमडी डीके सुनील का कहना है कि एचएएल अमेरिकी कंपनी जीई से जीई-414 इंजन के लिए 80% प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (टीओटी) समझौता करने का आग्रह कर रहा है। लेकिन जीई देरी कर रही है। सीएमडी के बयान का आशय यह है कि तेजस विमानों में इंजन अमेरिकी कंपनी जीई का लगेगा। भारत या एचएएल जीई से तकनीक ट्रांसफर करने का समझौता करना चाहते हैं, ताकि भारत और एचएएल कह सकें कि तेजस में इंजन भारत में बना हुआ लगा है। लेकिन असलियत में वो यूएस कंपनी का है।