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कोरोना के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं: केंद्र

केंद्र सरकार ने माना है कि देश में कोरोना के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। यह तब है जब कोरोना का टीकाकरण अभियान जोर शोर से चलाया जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि पिछले कुछ हफ़्तों में हालात ख़राब ही होते गए हैं और यह बड़ी चिंता की बात है। इसने आरटी-पीसीआर टेस्ट पर ध्यान केंद्रित करने के साथ परीक्षण को तेज़ करने, शीघ्रता से संपर्क को आइसोलेट करने, स्वास्थ्य सेवाओं को मज़बूत करने और स्वास्थ्य संसाधनों को व्यवस्थित करने के लिए निर्देश दिया।

देश में मंगलवार की सुबह 56,000 से अधिक कोरोना संक्रमण के नए मामले सामने आए। इसके साथ ही देश में सक्रिय कोरोना के मामले क़रीब 5.5 लाख हो गए हैं। इससे पहले सोमवार को 68,000 से अधिक नए मामले दर्ज किए गए थे। यह आँकड़ा अक्टूबर के बाद से एक दिन में अब तक सबसे अधिक था। 

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वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष वीके पॉल ने मंत्रालय की ब्रीफिंग में कहा, 'ट्रेंड दिखाते हैं कि वायरस अभी भी बहुत सक्रिय है और हमारे रक्षा कवच को भेद रहा है। जब हम सोचते हैं कि हम इसे नियंत्रित कर सकते हैं, यह फिर से तेज़ी से फैलने लगता है।' हालाँकि उन्होंने इस बात से इनकार किया कि नये स्ट्रेन यानी नये क़िस्म के कोरोना का संक्रमण की इस तेज़ी में कोई भूमिका है। 

राज्यों में कोरोना की स्थिति को लेकर भी स्वास्थ्य विभाग ने टिप्पणी की। वीके पॉल ने कहा, 'पंजाब न तो पर्याप्त संख्या में परीक्षण कर रहा है, न ही संक्रमित लोगों को ठीक से आइसोलेट यानी अलग कर रहा है। महाराष्ट्र में 3.37 लाख सक्रिय मामले हैं। फरवरी में 32 मौत से बढ़कर अब 118 हो गई है। कर्नाटक में परीक्षण और आइसोलेशन में सुधार की ज़रूरत है।'

स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी कहा है कि वायरस के विदेशी वैरिएंट की उपस्थिति कम है। 10 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में 11,064 जीनोम सिक्वेंसिंग के नमूनों में से वैज्ञानिकों ने यूके वैरिएंट के 807 मामले, दक्षिण अफ्रीका के 47 प्रकार और ब्राजील के एक वैरिएंट का पता लगाया है।

कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच टीकाकरण पर जोर दिया गया है। केंद्र ने राज्यों से कहा है कि निजी स्वास्थ्य व्यवस्था का भी उपयुक्त इस्तेमाल इसके लिए किया जाए।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा है कि क्लिनिकल ट्रायल के विभिन्न चरणों में सात और कोरोना वैक्सीन उम्मीदवार हैं और दो क्लिनिकल ट्रायल के पूर्व के चरणों में हैं। मौजूदा समय में भारत में दो टीके- एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की कोविशिल्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिली है। सरकार ने कहा है कि ये दोनों वैक्सीन यूके और ब्राज़ीलियन स्ट्रेन के ख़िलाफ़ कारगर हैं और दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन को लेकर काम चल रहा है। 

health ministry says corona situation going from bad to worse - Satya Hindi

बता दें कि स्वास्थ्य विभाग ने पाँच दिन पहले ही कहा था कि देश में एक नये क़िस्म का कोरोना पाया गया है- डबल म्यूटेंट। तब कहा गया था कि इससे संक्रमित लोग देश के 18 राज्यों में पाए गए हैं। भारत में जो डबल म्यूटेंट मिला है वह दो अलग-अलग म्यूटेंट का गठजोड़ है। इसमें से एक म्यूटेंट का नाम ई484क्यू नाम दिया गया है और दूसरे का एल452आर नाम दिया गया है। इन दोनों म्यूटेंट जब अलग-अलग होते हैं तो इनकी पहचान ज़्यादा तेज़ी से फैलने वाले के तौर पर की गई है और ये कुछ हद तक टीकाकरण या कोरोना ठीक होने से बनी एंटीबॉडी को मात भी दे देते हैं।

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लेकिन इन दोनों के गठजोड़ से बने वायरस के बारे में अभी पता नहीं चला है कि यह कितनी तेज़ी से फैलता है और कितना घातक है। अभी इसकी पुष्टि की जानी बाक़ी है।

सामान्य तौर पर माना जाता है कि जब म्यूटेशन होता है तो वह पहले से ज़्यादा तेज़ी से फैलने वाला होता है और वैक्सीन या कोरोना से बनी एंटीबॉटी को मात दे सकता है। इसका मतलब है कि यदि इस तरह का मामला हुआ तो पहले से संक्रमित व्यक्ति भी फिर से कोरोना संक्रमण का शिकार हो सकते हैं। इस तरह इसका एक डर यह है कि हर्ड इम्युनिटी बेअसर साबित हो सकती है। 

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क़मर वहीद नक़वी
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