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केरल में हिन्दू संस्था ने आरएसएस को क्यों दी चेतावनी?

त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड (टीडीबी) केरल की जानी मानी हिन्दू संस्था है। यह संस्था सबरीमला मंदिर सहित केरल के करीब 1200 मंदिरों का प्रबंधन करती है। टीडीबी ने मंदिरों में आरएसएस के प्रशिक्षण अभ्यास जैसी गतिविधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है। अभी तक किसी भी हिन्दू संस्था ने सार्वजनिक रूप से कभी भी आरएसएस को इस तरह चेतावनी नहीं दी है।
हालाँकि इस संबंध में बोर्ड ने पहले भी सभी मंदिरों को सर्कुलर जारी किए थे, लेकिन उनका उल्लंघन पाया गया और यहां तक ​​कि सशस्त्र प्रशिक्षण अभ्यास भी आयोजित किए गए। सर्कुलर में कहा गया है, इसलिए बोर्ड ने कड़ी कार्रवाई करने का फैसला किया।

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त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड के आयुक्त ने पिछले शुक्रवार को जारी एक ताजा सर्कुलर जारी किया। जिसमें कहा गया है कि मंदिर अधिकारियों की अनुमति के बिना मंदिरों के परिसरों में आरएसएस या अन्य धार्मिक चरमपंथी संगठनों के कामकाज पर सख्ती से प्रतिबंध है। मंदिरों के परिसरों में किसी भी संगठन या राजनीतिक संगठनों के झंडे या पोस्टर लगाने की अनुमति नहीं होगी। 
सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि मंदिर आने वाले भक्तों की शिकायतें हैं कि मंदिर परिसर में आरएसएस और इसी तरह के संगठनों की गतिविधियां पवित्रता और भक्तिपूर्ण माहौल को प्रभावित कर रही हैं। इसलिए अधिकारियों को इस मामले पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और मंदिरों में भक्तों के लिए अनुकूल माहौल बहाल करने के लिए यदि आवश्यक हो तो पुलिस की मदद भी लेनी चाहिए।
देवासम आयुक्त ने टीडीबी सतर्कता विंग को इन निर्देशों का पालन करने के लिए रात में भी नियमित अचानक निरीक्षण करने का निर्देश दिया। कहा जा रहा है कि कई मंदिर परिसरों में भक्तों ने मौके पर ही आरएसएस की गतिविधियों पर ऐतराज किया था। लेकिन मंदिर प्रबंधन ने मामला शांत करा दिया। इसके बाद काफी लोगों ने टीडीबी को ईमेल भेजकर शिकायतें कीं।
यह ऐसा पहला मामला नहीं है। आरएसएस की गतिविधियों से परेशान होकर एक भक्त तो अदालत में भी जा पहुंचा। केरल के सरकरा देवी मंदिर के भक्त एक साधारण मांग के साथ केरल हाईकोर्ट गए कि आरएसएस को इस मंदिर के परिसर से बाहर निकाला जाए।
केरल हाईकोर्ट में दायर एक रिट याचिका में आरोप लगाया गया है कि आरएसएस के सदस्य होने का दावा करने वाले कुछ लोग मंदिर परिसर में अवैध रूप से कब्जे कर रहे हैं। बड़े पैमाने पर अभ्यास कर रहे हैं और सदस्यों को हर शाम 5 बजे से 12 बजे के बीच मंदिर के मैदान में हथियारों से लड़ने की ट्रेनिंग दे रहे हैं।
याचिका में कहा गया है कि उनकी गतिविधियां मंदिर की शांति को भंग करती हैं और भक्तों और आने वालों को डराती हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि "अप्रिय गंध" और "मंदिर परिसर के भीतर 'हंस' और 'पान मसाला' जैसे तंबाकू उत्पादों का बार-बार उपयोग" पूजा स्थल की "स्वच्छता, पवित्रता और दिव्यता" को प्रभावित करता है।
याचिका के अनुसार, वे लोग - जो आरएसएस के सदस्य होने का दावा करते हैं - मंदिर में ध्यान और प्रार्थना के दौरान मानसिक तनाव, पीड़ा और शांत वातावरण को भंग कर रहे हैं।
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केरल में भाजपा और आरएसएस लंबे समय से पैर जमाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन इन लोगों को अभी तक राजनीतिक सफलता नहीं मिल पाई है। यहां पर आरएसएस कार्यकर्ताओं और पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के बीच लंबा संघर्ष चला। दोनों तरफ से दोनों संगठनों के लोग मारे भी गए। दोनों संगठनों को इससे फायदा ये हुआ कि दोनों को अपने-अपने समुदाय में पैर जमाने का मौका मिल गया। लेकिन भाजपा इसको राजनीतिक रूप से भुना नहीं सकी। लेकिन संघ ने हार नहीं मानी है। उसकी कोशिशें लगातार जारी हैं। अभी 7 और 8 अक्टूबर को संघ प्रमुख मोहन भागवत केरल के दौरे पर आए, उन्होंने यहां आरएसएस के टॉप 10 नेताओं के साथ बैठक भी की थी।  
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क़मर वहीद नक़वी
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