कोरोना वायरस और दिल्ली दंगे का खौफ़ कितना ज़्यादा है? इसका अंदाज़ा होली उत्सव के माहौल से लगाया जा सकता है। होली का उत्सव देश में खुशियों के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। वैसा त्योहार जो आपसी लड़ाई-झगड़े को भुलाकर गले लगने और रंग-गुलाल में सराबोर होने को प्रेरित करता है। लेकिन जब यही रंग-गुलाल, पिचकारी और बैलून जैसे होली के समान होली से पहले नहीं बिकें तो इसका क्या अर्थ निकाला जाए? क्या होली फीकी नहीं होने वाली है? क्या कोरोना वायरस ने इन खुशियों पर ग्रहण नहीं लगा दिया है? गिले-शिकवे को दूर करने वाले इस होली के त्योहार में क्या दिल्ली दंगे ने दूरियाँ पैदा नहीं कर दी हैं?