कोरोना वायरस और दिल्ली दंगे का खौफ़ कितना ज़्यादा है? इसका अंदाज़ा होली उत्सव के माहौल से लगाया जा सकता है। होली का उत्सव देश में खुशियों के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। वैसा त्योहार जो आपसी लड़ाई-झगड़े को भुलाकर गले लगने और रंग-गुलाल में सराबोर होने को प्रेरित करता है। लेकिन जब यही रंग-गुलाल, पिचकारी और बैलून जैसे होली के समान होली से पहले नहीं बिकें तो इसका क्या अर्थ निकाला जाए? क्या होली फीकी नहीं होने वाली है? क्या कोरोना वायरस ने इन खुशियों पर ग्रहण नहीं लगा दिया है? गिले-शिकवे को दूर करने वाले इस होली के त्योहार में क्या दिल्ली दंगे ने दूरियाँ पैदा नहीं कर दी हैं?
कोरोना वायरस और दिल्ली दंगे के खौफ़ में इस बार की होली ‘बेरंग’!
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- 7 Mar, 2020

कोरोना वायरस और दिल्ली दंगे का खौफ़ कितना ज़्यादा है? इसका अंदाज़ा होली जैसे उत्सव के माहौल से लगाया जा सकता है। होली जो देश में खुशियों के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है।
कोरोना वायरस फैलने के डर से कई जगहों पर होली मिलन समारोह रद्द किए जा रहे हैं। कुछ लोग ऐसे कार्यक्रमों में शामिल होने को लेकर आशंकित हैं। इसका असर यह हुआ है कि रंग-गुलाल, बैलून, पिचकारी, खिलौने जैसे होली के सामान के खरीदार नहीं मिल पा रहे हैं। अधिकतर सामान चीन से आते हैं तो कोरोना वायरस को लेकर लोगों में शंकाएँ हैं। इसका असर यह हुआ है कि आयातकों ने पहले से जो सामान स्टॉक कर रखे थे उसे भी थोक विक्रेता नहीं खरीद पा रहे हैं। कुछ असर दिल्ली हिंसा का भी हुआ है। दिल्ली के बाज़ार में आसपास के क्षत्रों से काफ़ी माँग आती थी, लेकिन इस बार हिंसा के बाद आसपास के खरीदार भी नहीं मिल पा रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि पहले तो होली से तीन-चार दिन पहले तक अधिकतर स्टॉक ख़त्म हो जाते थे।