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लद्दाख में भारतीय वायु सेना की लड़ाकू हवाई गश्त शुरू

भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बढ़ते तनाव के बीच भारतीय वायु सेना ने लेह-लद्दाख के इलाक़ों में कॉम्बैट एअर पैट्रोल शुरू कर दी है। इसका मतलब यह है कि ऐसे लड़ाकू जहाज़ गश्त लगा रहे हैं जिनसे दूसरी तरफ से आने वाले जहाज़ को रोका या उसे ध्वस्त किया जा सकता है। 
भारतीय वायु सेना के प्रमुख एअर चीफ़ मार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया ने शनिवार को इसका एलान करते हुए कहा कि वायु सेना हर तरह की चुनौतियों का सामना करने को तैयार है। 
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हवाई गश्त

कॉम्बैट एअर पैट्रोल का ख़ास महत्व इसलिए है कि चीन ने तिब्बत पठार पर कई हवाई पट्टियाँ बना रखी हैं जो भारतीय सीमा से बहुत दूर नहीं हैं। इन हवाई पट्टियों से किसी भी क्षण चीनी लड़ाकू जहाज़ उड़ान भर कर भारत की ओर आ सकते हैं। भारत की ओर से ऐसे जहाज़ तैनात हैं और गश्त कर रहे हैं जो ऐसे किसी भी जहाज का पता लगा कर उसे हवा में ही नष्ट कर सकते हैं।
वायु सेना के अपाचे हेलिकॉप्टर और अपग्रेडेड मिग-29 भी गश्त लगा रहे हैं। अपाचे को आधुनिकतम असॉल्ट हेलिकॉप्टर माना जाता है, इसे हाल ही में वायु सेना में शामिल किया गया है।

रूसी हवाई प्रणाली

मिग-29 में नया अवॉयनिक्स प्रणाली और रडार लगाया गया है, जो रूस से लिया गया है। इसके अलावा चिनूक मालवाहक हेलिकॉप्टर भी लद्दाख में तैनात किया गया है। 
एअर चीफ़ मार्शल भदौरिया ने कहा है कि चीन ने अपने हवाई अभ्यास किए हैं। उनके अनुसार, चीनी वायु सेना ऐसा हर साल करती है, पर इस साल कुछ अधिक हुआ है। लेकिन चीनी वायु सेना ने अब तक भारतीय वायु सीमा का उल्लंघन नहीं किया है। 

चीन को संकेत

लद्दाख में इस तरह की तैयारियाँ मूल रूप से चीनी सेना को संकेत देने के लिए की गई हैं। इसका मक़सद यह दिखाना है कि किसी तरह के चीनी हमले की स्थिति में उसका सामना किया जा सकता है। 
‘इंडिया टुडे’ के मुताबिक़, भारतीय वायुसेना ने अपने लड़ाकू विमान मिराज 2000 के बेड़े को लद्दाख के नजदीक एयरबेस में खड़ा कर दिया है, जहां से यह कुछ ही मिनटों में पैंगोंग त्सो और अन्य इलाक़ों में उड़ान भर सकता है।
मिराज 2000 के अलावा सुखोई -30 एमकेआई और जगुआर लड़ाकू विमानों के बेड़े को भी एडवांस पोजिशन में रखा गया है, जिससे ये तुरंत ऑपरेशन को अंजाम दे सकें।
गलवान घाटी में भारत के 20 जवानों की शहादत के बाद से ही सीमा पर माहौल बेहद तनावपूर्ण है। ‘इंडिया टुडे’ के मुताबिक़, सैटेलाइट तसवीरों से पता चला है कि चीन ने अपने नियंत्रण वाले इलाक़े में भारी मशीनें और उपकरण लगा दिए हैं और वह सड़कें, छोटे पुल, पानी से संबंधित मशीनरी, संभावित एअर डिफ़ेंस कमांड्स और कई झोपड़ियाँ बना चुका है। 
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क़मर वहीद नक़वी
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