बीस साल तक तालिबान को पालने-पोसने, उसे पैसे, हथियार और आतंकवादी प्रशिक्षण देने वाले पाकिस्तान को अब यह डर सताने लगा है कि यदि शरीआ में यकीन करने वाले इस संगठन ने सरकार में हर समुदाय को शामिल नही किया तो अफ़ग़ानिस्तान में गृह युद्ध छिड़ सकता है।