पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय मीडिया कंपनियों ने पाकिस्तानी क्रिकेट और एंटरटेनमेंट प्रोग्राम को नहीं दिखाने का फ़ैसला लिया है। पाकिस्तान सुपर लीग (पीएसएल) का ब्रॉडकास्ट रोक दिया गया है। इसके साथ ही पाकिस्तानी सीरियलों को भी डिजिटल प्लेटफॉर्म से हटा लिया गया है। पाकिस्तानी कलाकारों के फ़िलों और गानों को भी भारत में रिलीज़ होने से मना कर दिया गया है। 

इस मामले पर बीसीसीआई ने कहा कि क्रिकेट बोर्ड वही करेगा जो सरकार उससे करने को कहेगी। इस मामले पर बात करते हुए बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने कहा, “हम पीड़ितों के साथ हैं और हम इसकी निंदा करते हैं। हमारी सरकार जो भी कहेगी, हम वही करेंगे। हम सरकार के रुख के कारण पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय श्रृंखला नहीं खेलते हैं और हम भविष्य में भी पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय श्रृंखला नहीं खेलेंगे। लेकिन जब आईसीसी आयोजनों की बात आती है, तो हम आईसीसी की भागीदारी के कारण खेलते हैं। आईसीसी भी जानता है - जो कुछ भी हो रहा है।"

पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी। इसके बाद भारत में पाकिस्तान से जुड़ी किसी भी गतिविधि के प्रति गुस्सा और विरोध बढ़ गया है। भारतीय मीडिया उद्योग ने इन हालात को देखते हुए तुरंत कदम उठाए। कई बड़े ब्रॉडकास्टर्स और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म ने पाकिस्तानी सामग्री को अपने चैनलों और ऐप्स से हटाने का फैसला किया है। इसका असर पाकिस्तान सुपर लीग पर भी पड़ेगा। ये सीरीज़ पहले भारतीय टीवी चैनलों और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर दिखाई जाती थी। इस फ़ैसले के बाद अब भारत में इसे ब्रॉडकास्ट नहीं किया जाएगा। कुछ स्पोर्ट्स चैनलों के पीएसएल के साथ कान्ट्रैक्ट थे। अब इन चैनलों ने पीएसएल के साथ अपने सारे ब्रॉडकास्ट कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिए हैं।

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डिजिटल प्लेटफॉर्म से भी हटाये गये पाकिस्तानी शो!

डिजिटल स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म ने भी पाकिस्तानी टीवी शो और फिल्मों को अपनी लाइब्रेरी से हटा लिया है। कई लोकप्रिय पाकिस्तानी ड्रामे, जो भारतीय दर्शकों के बीच पसंद किए जाते थे, अब इन प्लेटफॉर्म पर मौजूद नहीं हैं। इन सभी पाकिस्तानी शो को हटाने का फैसला हमले के बाद बढ़ती संवेदनशीलता को देखते हुए लिया गया। कुछ प्लेटफॉर्म ने अपने आधिकारिक बयानों में कहा कि वे मौजूदा हालात में ऐसी सामग्री को बढ़ावा नहीं दे सकते। इसके अलावा, कुछ नए पाकिस्तानी शो, जिन्हें भारत में रिलीज करने की योजना थी, अब अनिश्चितकाल के लिए टाल दिए गए हैं।

पाकिस्तानी कलाकारों के शुरू होने वाली आगामी प्रोजेक्ट्स भी इस तनाव की चपेट में आ गये हैं। कई भारतीय प्रोडक्शन हाउस पाकिस्तानी अभिनेताओं या गायकों के साथ फिल्में या म्यूजिक प्रोजेक्ट्स पर काम करने वाले थे। उन्होंने अब इन योजनाओं को रद्द कर दिया है। कुछ प्रोजेक्ट्स को लेकर पहले से ही सोशल मीडिया पर विरोध शुरू हो चुका है। लोगों ने ट्विटर और अन्य प्लेटफॉर्म पर कैंपेन चलाकर इन परियोजनाओं को बंद करने की मांग की है। इस विरोध के चलते कई प्रोड्यूसर्स ने अपने प्रोजेक्ट्स को या तो टाल दिया है या पूरी तरह रद्द कर दिया है।

यह पहली बार नहीं है जब भारत-पाकिस्तान तनाव का असर सांस्कृतिक आदान-प्रदान या कल्चरल एक्सचेंज पर पड़ा है। पहले भी कई मौकों पर, खासकर आतंकी हमलों के बाद, भारतीय मनोरंजन उद्योग ने पाकिस्तानी सामग्री और कलाकारों पर प्रतिबंध लगाया है। 2016 में उरी हमले के बाद भी ऐसा ही हुआ था, जब भारतीय फिल्म इंडस्ट्री ने पाकिस्तानी कलाकारों के साथ काम करने पर रोक लगा दी थी। उस समय कई फिल्म संगठनों ने औपचारिक रूप से पाकिस्तानी कलाकारों को बैन करने का ऐलान किया था। इस बार भी लगभग वैसे ही हालात बन रहे हैं।

चैनलों से हटाये गये पीएसएल के शेड्यूल: पहलगाम हमले के बाद सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएं तीखी रही हैं। कई लोगों ने भारतीय चैनलों और प्लेटफॉर्म पर पाकिस्तानी सामग्री दिखाए जाने की आलोचना की। कुछ ने इसे देश के प्रति असंवेदनशीलता करार दिया। इस जनभावना को देखते हुए मीडिया कंपनियों ने जल्दी कदम उठाए। कुछ स्पोर्ट्स चैनलों ने अपने शेड्यूल से पीएसएल के प्रोमो हटा दिए, जबकि कुछ ने पहले से तय ब्रॉडकास्ट कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिए।

पाकिस्तानी क्रिकेटरों की भारत में लोकप्रियता भी इस फैसले से प्रभावित हुई है। पहले पीएसएल के कई मैच भारतीय दर्शकों के बीच देखे जाते थे, खासकर उनमें खेलने वाले स्टार खिलाड़ियों की वजह से। लेकिन अब इन मैचों का ब्रॉडकास्ट बंद होने से दर्शकों तक यह कंटेंट नहीं पहुंचेगा। कुछ क्रिकेट प्रशंसकों ने इस फैसले पर निराशा जताई, लेकिन ज्यादातर लोगों ने इसे मौजूदा हालात में सही कदम बताया।

मनोरंजन उद्योग के अलावा, इस तनाव का असर अन्य क्षेत्रों में भी देखा जा रहा है। कुछ संगीतमय आयोजनों में पाकिस्तानी गायकों को बुलाने की योजना थी, लेकिन अब ये आयोजन रद्द हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर चल रहे अभियानों ने इन आयोजनों के खिलाफ माहौल बनाया है। कई लोग मानते हैं कि जब तक भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम नहीं होता, तब तक सांस्कृतिक आदान-प्रदान को रोकना जरूरी है।

पहलगाम हमले ने न केवल भारत के सुरक्षा तंत्र को चुनौती दी है, बल्कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक रिश्तों को भी प्रभावित किया है। सरकार की ओर से भी इस मामले में सख्त रुख अपनाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी एक रैली में कहा कि हमले के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। इस बयान ने जनता के बीच सरकार के कड़े रवैये को और मजबूत किया।

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मीडिया कंपनियों के इस फैसले से भारत-पाकिस्तान के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर लंबे समय तक असर पड़ सकता है। पहले से ही दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक गतिविधियां लिमिटेड थीं। अब यह और कम हो गई हैं। यह कदम भारत में जनभावनाओं को ध्यान में रखकर उठाया गया है, लेकिन इसके साथ ही यह सवाल भी उठता है कि क्या भविष्य में दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक रिश्ते सामान्य हो पाएंगे? 

पहलगाम हमले के बाद भारत में पाकिस्तानी सामग्री पर लगी रोक एक बड़े बदलाव का संकेत है। यह फैसला न केवल मनोरंजन और क्रिकेट जगत तक सीमित है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच तनाव की गहराई को भी दर्शाता है।