loader

मोदी-शी जिनपिंग में 18 मुलाक़ातों के बावजूद ध्वस्त हो गई कूटनीति, झड़प हुई 

वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत-चीन के बीच तनाव और खूनी झड़प से दोनों देशों पर नज़र रखने वाले लोग सन्न हैं। नरेंद्र मोदी ने जितनी बार चीन की यात्रा की है, किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने नहीं की, चीनी राष्ट्रपति के साथ उनके रिश्ते भी बेहतर माने जाते रहे हैं। इसके बावजूद 40 साल में पहली बार इस तरह की खूनी झड़प भारतीय कूटनीति पर बेहद गंभीर सवाल खड़े करती है। 
साल 2014 में सत्ता संभालने के बाद से अब तक नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच 18 बार मुलाक़ात हो चुकी है। ये मुलाकातें भारत में हुईं, चीन में हुईं और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के मंचों पर अलग से हुईं। 
देश से और खबरें

18 मुलाक़ातें 

नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद से  5 बार चीन जा चुके हैं। अब तक किसी भारतीय प्रधानमंत्री की इतनी यात्राएं नहीं हुई हैं। मई 2019 में दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद से अब तक वह तीन बार शी जिनपिंग से मिल चुके हैं। बीते साल अक्टूबर में तमिलनाडु के महाबलीपुर में अनौपचारिक शिखर बैठक हुई। 

गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी ने दो बार चीन का दौरा किया था। 

सीमा पर शांति बरक़रार रखने के लिए 1993 में भारत और चीन के बीच समझौता हुआ। उस समय भारत के प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव और चीन के प्रीमियर लि पेंग थे। 

कई समझौते

उसके बाद 1996 में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच परस्पर भरोसा और विश्वास बढ़ाने के लिए कुछ कदम उठाने पर एक समझौता हुआ। उस समय भारत के प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा और चीन के राष्ट्रपति जियांग जेमिन थे। इस समझौते पर दस्तखत इन दो नेताओं ने किया था। 
इसके बाद 2003 में भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और चीनी राष्ट्रपति हू जिनताओ के बीच एक और समझौता हुआ।
वाजपेयी-जिनताओ क़रार में तय हुआ कि सीमा पर किसी तरह के विवाद का निपटारा करने के लिए ख़ास प्रक्रिया का पालन किया जाएगा और वह विशेष प्रतिनिधि के स्तर पर होगा।

मनमोहन सिंह के समय 3 क़रार

बात यहीं नहीं रुकी। भारत और चीन के रिश्तों में सुधार जारी रहा। मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते हुए 10 साल में 

भारत और चीन के बीच 3 क़रार पर दस्तख़त हुए। 

  • वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास दोनों देशों में  सेना के स्तर पर विश्वास बहाल करने के उपाय लागू करने के लिए कुछ दिशा निर्देश तय करने के लिए 2005 में एक संधि हुई।
  • भारत-चीन सीमा विवाद पर सलाह मशविरा करने और दोनो देशों में समन्वय बनाने के लिए एक प्रक्रिया तय करने के लिए एक क़रार 2012 में हुआ।
  • इसके बाद 2013 में सीमा सुरक्षा सहयोग संधि हुई। इसमें से दो क़रार उस समय हुए जब एस. जयशंकर बीजिंग में भारत के राजदूत थे। वह इस समय विदेश मंत्री हैं। 

समझौतों का उल्लंघन

सोमवार को जो झड़प हुई, उसके लिए दोनों पक्ष एक-दूसरे पर दोष मढ़ रहे हैं, चीनी सेना कुछ अधिक आक्रामक तरीके से अपनी बातें रख रही है। पर यह तो साफ़ है कि जो क़रार हुए थे, उनका पालन नहीं हुआ। उन कऱारों के अनुसार सीमा पर किसी तरह की समस्या होने पर समन्वय और बातचीत की गुंजाइश थी। पर ऐसा नहीं हुआ। 
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत और चीन कूटनीतिक ज़रिए से बात कर रहे थे, तनाव को कम करने की कोशिश कर रहे थे। इसी तरह सीनियर और स्थानीय कमांडरों के बीच भी बातचीत हो रही थी।
ऐसा क्या हो गया कि एक झटके से तमाम कोशिशों पर पानी फिर गया और मारपीट हुई, दोनों ही तरफ के सैनिक मारे गए, घायल हुए, इसका उत्तर नहीं मिला है।
अनुराग श्रीवास्तव ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'हम उम्मीद कर रहे थे कि धीरे-धीरे चीजें ठीक हो जाएंगी, लेकिन चीनी पक्ष यकायक वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बनी सहमति से पीछे हट गया।'
उन्होंने कहा कि 15 जून की रात को चीनी पक्ष ने यथास्थिति को बदलने की यकायक और एकतरफा कोशिश की और उससे हिंसा हुई।  
कूटनीति ख़त्म होने पर ही युद्ध होता है, यह अंतरराष्ट्रीय युद्ध नीति की पुरानी बात है। दरअसल कूटनीति होती ही है युद्ध टालने के लिए और ऐसा वातावरण बनाने के लिए, जिसमें युद्ध न हो। युद्ध न सही, झड़प तो हुई ही है। इससे साफ़ है कि कूटनीति नाकाम हुई है। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें