भारत ने विश्व बैंक से पाकिस्तान को दी जाने वाली संभावित 20 अरब डॉलर की आर्थिक सहायता की समीक्षा करने का आग्रह करने का फैसला किया है। सूत्रों के अनुसार, भारत इस मुद्दे को लेकर विश्व बैंक और आतंकवाद टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली ग्लोबल संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के समक्ष अपनी चिंताएं रखेगा। यह कदम पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है, जो मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय ऋण और बेलआउट पैकेज पर निर्भर है।

सूत्रों ने बताया कि भारत का यह कदम हाल के दिनों में भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और विशेष रूप से 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद लिया गया है, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया है। इसके जवाब में, भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए थे।


भारत का मानना है कि पाकिस्तान को दी जाने वाली अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सहायता का दुरुपयोग आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है। भारत ने पहले भी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा पाकिस्तान को दी गई 1 अरब डॉलर की हालिया सहायता का विरोध किया था, जिसमें उसने वोटिंग से दूरी बनाई थी और इस तरह की सहायता की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए थे। भारतीय वित्त मंत्रालय ने चेतावनी दी थी कि ऐसी सहायता का उपयोग सैन्य या आतंकवादी गतिविधियों के लिए हो सकता है।


सूत्रों के अनुसार, भारत अब विश्व बैंक से यह सुनिश्चित करने के लिए कहेगा कि पाकिस्तान को दी जाने वाली सहायता का इस्तेमाल पारदर्शी तरीके से हो और इसका दुरुपयोग आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए न हो। इसके साथ ही, भारत एफएटीएफ के समक्ष भी इस मुद्दे को उठाएगा, ताकि पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी प्रतिबद्धताओं की जांच की जाए।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पिछले कई वर्षों से संकट में है, जिसमें पुराना व्यापार घाटा, कम टैक्स संग्रह और उच्च सार्वजनिक ऋण प्रमुख कारण हैं। विश्व बैंक और आईएमएफ जैसे बहुपक्षीय संगठनों के अलावा, पाकिस्तान को चीन, सऊदी अरब और कतर जैसे देशों से भी वित्तीय सहायता मिलती रही है। हालांकि, भारत का कहना है कि इन बेलआउट पैकेजों ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में स्थायी सुधार नहीं किया है और इसका इस्तेमाल अक्सर गलत उद्देश्यों के लिए किया जाता है।


इसके अतिरिक्त, भारत ने हाल ही में पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है और इसे तब तक बहाल करने से इनकार किया है, जब तक पाकिस्तान आतंकवाद के समर्थन को पूरी तरह से बंद नहीं करता।


भारत की यह रणनीति न केवल पाकिस्तान पर आर्थिक दबाव बढ़ाने की है, बल्कि वैश्विक मंचों पर यह संदेश देने की भी है कि आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस मामले में भारत की ओर से अगले कुछ हफ्तों में और सक्रिय कदम उठाए जाने की उम्मीद है।