भारत ने पाकिस्तान की ओर से दी गई परमाणु धमकियों की कड़ी निंदा करते हुए स्पष्ट किया है कि वह किसी भी तरह के परमाणु ब्लैकमेल के सामने नहीं झुकेगा। विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाता रहेगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर के बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि परमाणु हथियारों की धमकी देना पाकिस्तान की पुरानी रणनीति है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसी टिप्पणियां पाकिस्तान की सैन्य नेतृत्व और आतंकवादी समूहों के बीच सांठगांठ को उजागर करती हैं, जिससे उसके परमाणु कमान की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं।
मुनीर ने अमेरिका में एक कार्यक्रम में कहा कि युद्ध की स्थिति में पाकिस्तान अपनी पूरी सैन्य शक्ति, जिसमें परमाणु हथियार भी शामिल हैं, का इस्तेमाल करेगा। भारत ने इस धमकी को "पाकिस्तान की आदत" करार देते हुए खारिज कर दिया और कहा कि यह भारत की दृढ़ नीति को प्रभावित नहीं करेगा।
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विदेश मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत ने पहले ही अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है कि वह आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर कायम है। मंत्रालय ने कहा, "हम परमाणु ब्लैकमेल के सामने नहीं झुकेंगे। भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।"

आसिम मुनीर ने अमेरिका जाकर क्यों उठाया मुद्दा 

पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने अमेरिका में एक कार्यक्रम में भारत के खिलाफ परमाणु धमकी दी, जिसमें उन्होंने कहा कि यदि पाकिस्तान का अस्तित्व खतरे में पड़ा, तो वह "आधी दुनिया को अपने साथ ले जाएगा।" यह धमकी भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने के फैसले के बाद आई, जिसे पाकिस्तान ने 250 मिलियन लोगों के लिए खाद्य संकट का कारण बताया। 

मुनीर का यह बयान न केवल भारत के साथ तनाव को बढ़ाने का प्रयास है, बल्कि यह पाकिस्तान की पुरानी रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वह परमाणु हथियारों की धमकी देकर क्षेत्रीय और वैश्विक मंचों पर ध्यान आकर्षित करता है। उनकी यह टिप्पणी अमेरिकी धरती से दी गई, जो इसे और भी गंभीर बनाती है, क्योंकि यह पहली बार है कि किसी तीसरे देश के खिलाफ अमेरिका से ऐसी धमकी दी गई। इस बयान का उद्देश्य भारत पर दबाव बनाना और वैश्विक समुदाय, खासकर अमेरिका, का ध्यान अपनी ओर खींचना हो सकता है।

सिंधु जल संधि और कश्मीर मुद्दे का उठाना 

मुनीर ने अपने भाषण में सिंधु जल संधि को प्रमुखता से उठाया और भारत पर नदी को "अपनी पारिवारिक संपत्ति" मानने का आरोप लगाया। उन्होंने धमकी दी कि यदि भारत ने सिंधु नदी पर कोई बांध बनाया, तो पाकिस्तान उसे "10 मिसाइलों से नष्ट कर देगा।" यह बयान भारत के हालिया कदमों, विशेष रूप से अप्रैल 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद संधि को निलंबित करने के जवाब में आया। इसके साथ ही, मुनीर ने कश्मीर का मुद्दा भी उठाया, इसे वैश्विक मंच पर लाने की कोशिश की और दावा किया कि भारत कश्मीर के मुद्दे को दबाने की कोशिश कर रहा है। 

कश्मीर को जल विवाद के साथ जोड़कर, मुनीर संभवतः इसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा बनाना चाहते हैं, ताकि वैश्विक शक्तियां, विशेष रूप से अमेरिका, इसमें हस्तक्षेप करें। यह रणनीति पाकिस्तान की उस पुरानी नीति को दर्शाती है, जिसमें वह कश्मीर को जल और क्षेत्रीय विवादों के साथ जोड़कर भारत पर कूटनीतिक दबाव बनाना चाहता है।
अमेरिका की भूमिका और ट्रंप के साथ बढ़ता भरोसा 
आसिम मुनीर की यह दूसरी अमेरिकी यात्रा थी, जिसमें उन्होंने यूएस सेंट्रल कमांड (CENTCOM) के कमांडर के रिटायरमेंट समारोह में हिस्सा लिया और अमेरिकी सैन्य नेताओं से मुलाकात की। जून में उनकी पिछली यात्रा में, उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ निजी भोज में हिस्सा लिया, जिसके बाद ट्रंप ने अमेरिका-पाकिस्तान सहयोग, विशेष रूप से तेल सौदे, को बढ़ाने की घोषणा की। मुनीर ने ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने की बात भी कही, जिससे ट्रंप का उन पर भरोसा बढ़ता दिख रहा है। 
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इस बयानबाजी का मकसद अमेरिका को भारत-पाकिस्तान तनाव में मध्यस्थ की भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करना हो सकता है। कुछ भारतीय विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका, अपनी क्षेत्रीय रणनीति के तहत, पाकिस्तान का इस्तेमाल भारत के खिलाफ कर सकता है, खासकर भारत-अमेरिका व्यापार तनाव के बीच। मुनीर की धमकियों और अमेरिका के साथ बढ़ती नजदीकियों से यह स्पष्ट है कि वह कश्मीर और जल विवाद को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाकर भारत पर दबाव बढ़ाना चाहते हैं, जिसमें अमेरिका की भूमिका को महत्वपूर्ण माना जा सकता है।