दिल्ली हाईकोर्ट ने इंडिगो की उड़ानों में व्यवधान, ₹40,000 तक के आसमान छूते हवाई किराए पर केंद्र से सवाल किया। अदालत ने इंडिगो को काफी फटकार लगाई।
इंडिगो फ्लाइट्स की अराजकता पांचवें दिन भी जारी है
दिल्ली हाईकोर्ट ने इंडिगो एयरलाइन की उड़ानों में देरी और रद्द होने के कारण पैदा हुए संकट को रोकने में विफल रहने पर केंद्र सरकार (नागरिक उड्डयन मंत्रालय और डीजीसीए) को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने सरकार से सीधे पूछा, "क्या आप लाचार हैं?" और सवाल किया कि यह संकट पैदा ही क्यों हुआ और जब स्थिति बिगड़ रही थी, तब सरकार क्या कर रही थी। आखिर 35-40 हजार रुपये किराये का क्या मतलब है।
बार एंड बेंच के मुताबिक चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने इस बात पर नाराज़गी व्यक्त की कि सरकार ने सिर्फ तभी कार्रवाई की जब हवाई यात्रा में स्थिति खराब हो गई। लाखों यात्री हवाई अड्डों पर फंसे रह गए। कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति न केवल यात्रियों के लिए असुविधा पैदा करती है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करती है।
कोर्ट ने इसे "चिंताजनक" स्थिति करार देते हुए पूछा कि हवाई किराए 35-40 हजार रुपये तक कैसे पहुंच गए? अन्य एयरलाइंस को फायदा उठाने की अनुमति कैसे दी गई? बेंच ने कहा, "यदि संकट था, तो अन्य एयरलाइंस को फायदा उठाने की इजाजत कैसे दी गई? किराया 35-40 हजार तक कैसे पहुंचा? आपने स्थिति को बिगड़ने दिया।"
कोर्ट ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय, डीजीसीए और इंडिगो को निर्देश दिया कि हवाईअड्डों पर फंसे यात्रियों को जल्द से जल्द उचित मुआवजा दिया जाए। बेंच ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि यात्रियों को हुई असुविधा के लिए जल्द मुआवजा प्रदान करने के पर्याप्त कदम उठाए जाएं।"
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा ने कोर्ट को बताया कि इंडिगो के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है और एयरलाइन को शो-कॉज नोटिस जारी किया गया है। केंद्र ने घरेलू इकोनॉमी क्लास किरायों पर कैप लगाई है और इंडिगो को अपनी 10% उड़ानें कम करने का आदेश दिया है, जिससे रोजाना 200 से अधिक उड़ानें रद्द हो सकती हैं। कोर्ट ने इस पर असंतोष जताते हुए पूछा, "संकट उत्पन्न होने के बाद ही कार्रवाई की गई। सवाल यह है कि स्थिति पैदा क्यों हुई? आप क्या कर रहे थे?"
हाईकोर्ट ने कहा कि आपने 2024 में ड्यूटी अवधि, विश्राम अवधि आदि के लिए प्रावधान किए थे... मामले के निपटारे के बाद इन्हें चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाना था... विश्राम अवधि लागू की जानी थी... यदि कोई एयरलाइन ऐसा करने में विफल रहती है, तो उस एयरलाइन के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए क्या प्रावधान उपलब्ध हैं... विश्राम अवधि का पालन न करने पर आप उनके खिलाफ क्या कार्रवाई कर सकते हैं... यही सब हम आपसे उम्मीद कर रहे थे...।”
कोर्ट के मुख्य निर्देश
- इंडिगो एयरलाइन DGCA के नियमानुसार यात्रियों को तत्काल और उचित मुआवज़ा प्रदान करे।
- केंद्र सरकार और DGCA यह सुनिश्चित करें कि एयरलाइन में पर्याप्त संख्या में पायलटों की भर्ती हो।
- संकट को सामान्य करने और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम जारी रखे जाएँ।
- अदालत अब इस मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी 2026 को करेगी। सरकार को संकट के कारणों की जाँच रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश करने का निर्देश दिया गया है।
अपडेटः डीजीसीए ने इंडिगो के सीईओ को तलब किया, फ्लाइट्स का संकट बरकरार
- फ्लाइट रेगुलेटर डीजीसीए ने इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स को गुरुवार दोपहर 3 बजे पेश होने के लिए तलब किया है। यह घटनाक्रम डीजीसीए द्वारा बड़े पैमाने पर उड़ान रद्द होने के मामले में जारी कारण बताओ नोटिस पर इंडिगो की प्रतिक्रिया के कुछ दिनों बाद सामने आया है।
- बुधवार को इंडिगो ने बेंगलुरु एयरपोर्ट से 60 से अधिक उड़ानें रद्द कर दीं, जबकि मुख्य कार्यकारी अधिकारी पीटर एल्बर्स ने मंगलवार को दावा किया था कि एयरलाइन का परिचालन फिर से पटरी पर आ गया है। एयरपोर्ट सूत्रों के अनुसार, इंडिगो ने बुधवार को 61 उड़ानें रद्द कीं, जिनमें 35 आगमन और 26 प्रस्थान शामिल हैं।
- एयरलाइन को व्यवधानों से संबंधित विस्तृत डेटा प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया।
- DGCA ने 11 एयरपोर्ट्स का ऑन-साइट निरीक्षण करने का आदेश दिया है। इसमें नागपुर, जयपुर, भोपाल, सूरत, तिरुपति, विजयवाड़ा, शिरडी, कोचीन, लखनऊ, अमृतसर और देहरादून शामिल हैं। डीजीसीए ने अपने अधिकारियों को दो से तीन दिनों के भीतर इन हवाई अड्डों का दौरा करने और 24 घंटे के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
इससे पहले नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने इंडिगो की उड़ानों में 10% कटौती का आदेश दिया है, ताकि संचालन स्थिर हो सके। इससे पहले 5% कटौती का प्रस्ताव था, जिसे दोगुना कर दिया गया। हालांकि इसके बावजूद हालात नियंत्रण में नहीं आ रहे हैं। नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (एफडीटीएल) नियमों के कारण क्रू शॉर्टेज की वजह से संकट पैदा हुआ। ये नियम पायलटों की थकान रोकने के लिए हैं, जिन्हें दिल्ली हाईकोर्ट के पुराने आदेश पर लागू किया गया। इंडिगो ने तैयारी नहीं की, जिससे दिसंबर की शुरुआत में सैकड़ों उड़ानें रद्द हुईं।
यह संकट पिछले सप्ताह से जारी था, जिसमें हजारों यात्री प्रभावित हुए। कई दिन बीतने के बाद डीजीसीए सक्रिय हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल हस्तक्षेप से इनकार कर दिया, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लिया। सरकार ने इंडिगो को जवाबदेह ठहराया है और आगे की कार्रवाई का आश्वासन दिया है।