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ट्विटर को लेकर सरकार पर जैक डोर्सी के आरोपों में आख़िर कितना दम? 

क़रीब एक साल पहले की बात है जब ट्विटर के सीईओ पराग अग्रवाल थे और जैक डोर्सी की हैसियत भी मालिक जैसी थी। तब ट्विटर ने आरोप लगाए थे कि भारत सरकार वजह बताए बिना ही खाते ब्लॉक करने को कह रही थी। पिछले साल ही भारत सरकार ने ट्विटर से कोरोना काल, किसान आंदोलन और हेट स्पीच को लेकर कुछ ट्वीट को हटाने के लिए कहा था। ट्विटर ने तो इस मामले को अदालत तक भी घसीटा था। यह वही समय था जब एलन मस्क ट्विटर को खरीदने की सोच रहे थे और इस संबंध में बातचीत चल रही थी। लेकिन तब तक ट्विटर बिका नहीं था।

अब इसी ट्विटर को लेकर पूर्व में इसके सीईओ रहे और इसके सह-संस्थापक रहे जैक डोर्सी ने एक इंटरव्यू में ऐसा कुछ कह दिया है कि भारत में फिर से हंगामा खड़ा हो गया है और सरकार कटघरे में। यूट्यूब चैनल ब्रेकिंग पॉइंट्स में एक इंटरव्यू में जैक डोर्सी ने कहा है कि ट्विटर को किसानों के विरोध और सरकार की आलोचना करने वाले खातों को ब्लॉक करने के लिए भारत सरकार से कई अनुरोध मिले थे। उन्होंने यह भी कहा है कि ट्विटर को बंद करने और भारत में उसके कर्मचारियों के घरों पर छापे मारने की धमकी दी गई थी। 

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इंटरव्यू में जब उनसे ट्विटर प्रमुख के रूप में विदेशी सरकारों के दबाव के बारे में पूछा गया, तो डोर्सी ने भारत का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, "भारत एक ऐसा देश है जिसने किसान आंदोलन के दौरान हमसे कई अनुरोध किए, कुछ विशेष पत्रकार जो सरकार के आलोचक थे उनके ट्विटर हैंडल को बैन करने को कहा था। ऐसा न करने पर 'हम भारत में ट्विटर को बंद कर देंगे' जैसी धमकियां दी गईं। आप जानते हैं भारत हमारे लिए एक बहुत बड़ा बाजार है। भारत सरकार ने हमें धमकी दी कि 'हम आपके कर्मचारियों के घरों पर छापा मारेंगे, हम आपके दफ्तरों को बंद कर देंगे'।" डोर्सी ने कहा कि हालांकि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, लेकिन ऐसी धमकियां हमें मिलीं। हालाँकि, सरकार ने जैक डोर्सी के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है और कहा है कि यह पूरी तरह 'झूठ' है।

तो सवाल है कि जिस वक़्त की घटनाओं का वह ज़िक्र कर रहे थे तब क्या ऐसी कुछ ख़बरें आई थीं? तो इसका जवाब है कि तब जैक डोर्सी या ट्विटर की ओर से ऐसा साफ़ साफ़ आरोप नहीं लगाया गया था। लेकिन जिस तरह की ख़बरें तब आई थीं उनसे ऐसा संकेत ज़रूर मिल रहे थे।

पिछले साल जून-जुलाई के दौरान बड़े पैमाने पर ट्वीट हटाए जाने का मामला सामने आया था। ट्विटर इतने बड़े पैमाने पर ट्वीट हटाने को तैयार नहीं था। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ट्वारा ट्वीट और ट्विटर खातों पर कार्रवाई के ख़िलाफ़ ट्विटर ने कर्नाटक हाई कोर्ट का रुख किया था। इसने मंत्रालय की कार्रवाई के तौर-तरीक़ों पर सवाल उठाया था।
ट्विटर ने पिछले साल जून महीने की शुरुआत में अदालत को बताया था कि मंत्रालय कंपनी को किसी खास ट्वीट के बारे में जानकादी दिए बिना पूरे खातों को ब्लॉक करने के आदेश जारी कर रहा था। कंपनी ने कहा था कि ऐसे आदेश जारी करने के मामले बढ़ रहे हैं।
तब ट्विटर की आपत्ति थी कि मंत्रालय किसी खास ट्वीट के बारे में जानकारी नहीं देता था कि आख़िर उसमें क्या आपत्तिजनक है और किन वजहों से पूरे खातों को ब्लॉक किया जाए। कंपनी ने कहा था, 'कई यूआरएल में राजनीतिक और पत्रकारिता संबंधी सामग्री होती है। इस तरह की जानकारी को ब्लॉक करना प्लेटफॉर्म के यूज़रों को दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का घोर उल्लंघन है।'
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पिछले साल इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट दी थी कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने फरवरी 2021 और 2022 के बीच ट्विटर को ब्लॉक करने के लिए 10 ऑर्डर जारी किए थे। इन आदेशों में कंपनी को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69 (ए) के तहत 1,400 से अधिक खातों और 175 ट्वीट को हटाने का निर्देश दिया था। इस मामले को लेकर ट्विटर ने कर्नाटक उच्च न्यायालय का रुख किया था। ट्विटर ने याचिका दायर की और इसमें मांग की कि मंत्रालय ने जिन 39 लिंक पर आपत्ति जताई है उन आदेशों को रद्द किया जाए।

बता दें कि ट्विटर द्वारा पिछले साल जुलाई में अदालत का रुख किए जाने से पहले जून महीने में केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर से कई पत्रकारों, राजनेताओं और किसान आंदोलन के समर्थकों के ट्विटर अकाउंट ब्लॉक करने के लिए कहा था। इस बात की जानकारी ट्विटर द्वारा 26 जून को जमा किए गए एक दस्तावेज से सामने आई थी। इस संबंध में केंद्र सरकार की ओर से 5 जनवरी 2021 और 29 दिसंबर 2021 के बीच में ट्विटर से अनुरोध किया गया था। तब यह ख़बर न्यूज़ एजेंसी पीटीआई ने ट्विटर द्वारा ल्यूमेन डेटाबेस में जमा किए गए दस्तावेज के हवाले से दी थी।

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बड़ी इंटरनेट कंपनियां जैसे- गूगल, फेसबुक और ट्विटर ल्यूमेन डेटाबेस को उन वेब लिंक और खातों के बारे में जानकारी देती हैं जिन्हें ब्लॉक करने के लिए उनसे कहा जाता है। 

पिछले साल ही ट्विटर ने कहा था कि भारत ने उसके प्लेटफार्म पर सक्रिय पत्रकारों और न्यूज आउटलेट्स के कंटेंट हटाने को लेकर दुनिया भर में सबसे ज्यादा लीगल डिमांड्स की थी। ट्विटर ने कहा था कि यह लीगल डिमांड जुलाई से दिसंबर 2021 के बीच में की गई थी। सोशल मीडिया कंपनी ने कहा था कि भारत उन 5 देशों में शामिल है जिन्होंने ट्विटर को कंटेंट ब्लॉक करने का आदेश दिया। ट्विटर ने पिछले साल जारी अपनी ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट में यह बात कही थी। ट्विटर ने ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट में यह भी कहा था कि भारत टि्वटर के खातों की जानकारी मांगने के मामले में सिर्फ अमेरिका से ही पीछे है। 

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क़मर वहीद नक़वी
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