क्या पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद भारत के ख़िलाफ़ आतंकवाद को बढ़ाने के लिए नये-नये तरीक़े अपना रहा है और अब महिलाओं को इसके लिए तैयार कर रहा है? दरअसल, जैश-ए-मोहम्मद ने महिलाओं को कट्टर बनाने और भर्ती करने के लिए एक ऑनलाइन कोर्स 'तुफत अल-मूमिनात' शुरू करने की योजना बनाई है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार खुफिया एजेंसियों ने बुधवार को सांसदों को इसकी जानकारी दी। इसमें चेतावनी दी गई है कि यह कोर्स भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के उद्देश्य से महिलाओं को जिहाद के लिए तैयार करने का प्रयास है। यह कोर्स नवंबर की शुरुआत में शुरू होगा और JeM प्रमुख मसूद अजहर की बहनों तथा पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड उमर फारूक की पत्नी द्वारा चलाया जाएगा।

खुफिया सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि JeM एक महिला ब्रिगेड 'जमात उल-मूमिनात' तैयार कर रहा है, जिसका उद्देश्य संगठन को मजबूत बनाना और अधिक महिलाओं को भर्ती करना है। द न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने एक पैंफलेट्स के हवाले से कहा है कि यह आतंकवादी समूह अब ऑनलाइन ट्रेनिंग कोर्स लॉन्च कर रहा है। इसके माध्यम से फंड इकट्ठा करने और महिला ब्रिगेड में अधिक महिलाओं को शामिल करने की तैयारी है।
रिपोर्ट के अनुसार एजेंसियों ने बताया कि इस कोर्स के तहत JeM नेताओं की महिला सदस्य महिलाओं को जिहाद, धर्म और इस्लाम के दृष्टिकोण से उनके 'कर्तव्यों' के बारे में सिखाएंगी। यह भर्ती अभियान ऑनलाइन लाइव लेक्चर्स के माध्यम से 8 नवंबर 2025 से शुरू होगा। प्रत्येक दिन 40 मिनट के सत्र ऑनलाइन मीटिंग प्लेटफॉर्म्स पर आयोजित किए जाएंगे, जिन्हें मसूद अजहर की दो बहनें सादिया अजहर और समैरा अजहर संचालित करेंगी। इन कक्षाओं का मक़सद महिलाओं को महिला ब्रिगेड में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना होगा।

फंड जुटाने के लिए मसूद अजहर ने 27 सितंबर को बहावलपुर के मार्कज उस्मान ओ अली में अपने संबोधन में दान की अपील की थी। अब इस कोर्स के माध्यम से प्रत्येक नामांकन करने वाली महिला से 500 पाकिस्तानी रुपये का दान लिया जा रहा है। इसके साथ ही उन्हें एक ऑनलाइन फॉर्म भरना पड़ेगा। 

JeM का यह कदम अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग आतंकवादी गतिविधियों के लिए फंड कलेक्शन और भर्ती दोनों के लिए करने की रणनीति को दिखाता है।

महिला ब्रिगेड का गठन

8 अक्टूबर 2025 को मसूद अजहर ने बहावलपुर के मार्कज उस्मान ओ अली में JeM की महिला ब्रिगेड 'जमात उल-मूमिनात' के गठन की घोषणा की थी। इसके बाद 19 अक्टूबर को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के रावलकोट में 'दुख्तारान-ए-इस्लाम' नामक एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें महिलाओं को समूह में शामिल करने का प्रयास किया गया। जमात उल-मूमिनात का कमांड सादिया अजहर को सौंपा गया है, जिसके पति यूसुफ अजहर को भारत के ऑपरेशन सिंदूर में मार दिया गया था। संगठन की शुहरा यानी परिषद में मसूद अजहर की एक अन्य बहन साफिया अजहर और पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड उमर फारूक की पत्नी अफरीरा फारूक भी शामिल हैं, जिन्हें भारतीय सेना ने निष्क्रिय कर दिया था।
रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि यह महिला ब्रिगेड ISIS, हमास और LTTE के मॉडल पर आधारित है। इसमें महिलाओं को संभावित रूप से आत्मघाती हमलों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। खुफिया एजेंसियां मानती हैं कि यह कोर्स JeM की ऑपरेशनल क्षमता को बढ़ाने का प्रयास है। महिलाओं को जासूसी, प्रोपेगैंडा या हमलों के लिए इस्तेमाल करने की योजना है।

पाकिस्तान की दोहरी नीति

यह घटना पाकिस्तान की दोहरी नीति को दिखाती है, जो FATF यानी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फॉर्स नियमों का पालन करने का दावा करता है, लेकिन आतंकवादी संगठनों को खुले तौर पर फंड इकट्ठा करने देता है। ऑनलाइन धार्मिक कोर्स के बहाने फंड जुटाना JeM की नई रणनीति है, जो वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा है। 
जैश-ए-मोहम्मद का यह ऑनलाइन कोर्स महिलाओं को आतंकवाद की दुनिया में खींचने का खतरनाक प्रयास है, जो भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती पैदा करता है। खुफिया एजेंसियां सीमा पार डिजिटल ट्रैकिंग बढ़ा रही हैं, लेकिन इससे निपटने के लिए नयी रणनीति की ज़रूरत होगी। क्या यह JeM की नई शुरुआत है या पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का विस्तार?