मोदी सरकार की नीतियों की आलोचक रहीं प्रख्यात इतिहासकार रोमिला थापर को क्या जेएनयू में प्रोफ़ेसर इमेरिटस पद से हटाने की तैयारी की जा रही है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि जेएनयू प्रशासन ने उनसे सीवी यानी जीवन परिचय जमा करने को कहा है ताकि उनके काम का आकलन किया जा सके कि उन्हें इस पद पर बनाए रखा जाए या नहीं। यह अजीब बात है कि जिन्होंने जेएनयू में 20 से ज़्यादा साल तक पढ़ाया, उनके शैक्षिक योगदान के लिए राष्ट्रीय और अंतरारष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार मिले और अभी भी उनके शोध को इतिहासकर अव्वल दर्जे का मानते हैं उनसे उनके काम के मूल्याँकन के लिए सीवी माँगी जाए!
केंद्र की नीतियों की विरोधी रहीं रोमिला थापर जेएनयू से हटाई जाएँगी?
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- 1 Sep, 2019
मोदी सरकार की नीतियों की आलोचक रहीं इतिहासकार रोमिला थापर को क्या जेएनयू में प्रोफ़ेसर इमेरिटस पद से हटाने की तैयारी की जा रही है? ऐसा नहीं है तो जेएनयू प्रशासन ने उनसे सीवी जमा करने को क्यों कहा है?

जेएनयू के रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार ने पिछले महीने रोमिला थापर को पत्र लिखकर उनसे सीवी जमा करने को कहा है। अंग्रेज़ी अख़बार ‘द टेलीग्राफ़’ ने इस पर रिपोर्ट प्रकाशित की है। अख़बार ने लिखा है कि जेएनयू के तीन फ़ैकल्टी मेंबरों ने इस पर हैरानी जताई है क्योंकि अभी तक किसी भी प्रोफ़ेसर इमेरिटस से सीवी देने को नहीं कहा गया है। रिपोर्ट के अनुसार फ़ैकल्टी मेंबरों ने कहा कि एक बार चुने जाने के बाद इस पद पर शिक्षक जीवन भर बना रहता है। अख़बार का कहना है कि जेएनयू रजिस्ट्रार ने फ़ोन करने और संदेश भेजने के बाद भी इस पर प्रतिक्रिया नहीं दी।