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फोटो ग्रैब- Eventxpress

कोई भगवान ब्राह्मण जाति से नहीं, जाति का मिटना जरूरी: JNU वीसी

जेएनयू की वाइस चांसलर शांति श्री धुलीपुड़ी पंडित ने कहा है कि कोई भी भगवान ब्राह्मण जाति से नहीं है। उन्होंने जाति को खत्म करने को भी बेहद जरूरी बताया है। वाइस चांसलर बीआर आंबेडकर लेक्चर सीरीज के तहत आयोजित एक कार्यक्रम में अपनी बात रख रही थीं। 

‘डॉ. बी.आर. आंबेडकर थॉट ऑन जेंडर जस्टिस’ शीर्षक से आयोजित कार्यक्रम में वाइस चांसलर ने कहा, “मानव शास्त्रीय रूप से, वैज्ञानिक रूप से हमारे देवताओं की उत्पत्ति को देखें। कोई भी ईश्वर ब्राह्मण नहीं है। क्षत्रिय सबसे ऊंचा है। भगवान शिव अनुसूचित जाति या आदिवासी हो सकते हैं क्योंकि वह सांप के साथ कब्रिस्तान में बैठते हैं और उन्हें पहनने के लिए बहुत कम कपड़े दिए गए हैं।”

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वाइस चांसलर ने आगे कहा, “मुझे नहीं लगता कि ब्राह्मण कब्रिस्तान में बैठ सकते हैं इसलिए अगर आप देखें तो हमारे भगवान ऊंची जातियों से नहीं आते। लक्ष्मी, शक्ति या फिर कोई भी भगवान हो। अगर आप जगन्नाथ की बात करें तो वह आदिवासी लगते हैं तो फिर हम क्यों इस भेदभाव को जारी रखे हुए हैं, यह बेहद, बेहद अमानवीय है।” 

जेएनयू की वाइस चांसलर तेलुगू, तमिल, मराठी, हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी भाषाओं की जानकार हैं और इससे पहले वह पुणे में स्थित सावित्री फुले विश्वविद्यालय में राजनीतिक और सामान्य प्रशासन विभाग में प्रोफेसर थीं। इस साल फरवरी में उन्हें जेएनयू की वाइस चांसलर बनाया गया था। वह जेएनयू की पहली महिला वाइस चांसलर हैं।

वाइस चांसलर ने कहा कि मनुस्मृति सभी महिलाओं को शूद्र मानती है और यह लोगों को पीछे ले जाने वाली है।

वाइस चांसलर ने कहा कि कोई भी महिला यह दावा नहीं कर सकती कि वह ब्राह्मण या कुछ और है। मेरा मानना है कि शादी के बाद ही आपको आपके पति या उससे पहले अपने पिता से जाति मिलती है। 

जालौर की घटना का जिक्र 

अपने संबोधन में वाइस चांसलर ने जालौर में हुई 9 साल के बच्चे इंद्र कुमार मेघवाल की मौत का भी जिक्र किया। शांति श्री धुलीपुड़ी पंडित ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण रूप से कई लोग कहते हैं कि जाति जन्म के आधार पर नहीं थी लेकिन आज यह जन्म के आधार पर ही है। अगर कोई ब्राह्मण या कोई दूसरी जाति का शख्स मोची है तो क्या वह तुरंत दलित बन जाता है। नहीं, मैं ऐसा इसलिए कह रही हूं क्योंकि राजस्थान में हाल ही में एक युवा दलित लड़के की पीटकर इसलिए हत्या कर दी गई क्योंकि उसने पानी को छू लिया था। 

वाइस चांसलर ने कहा कि उसने पानी पिया नहीं था बल्कि ऊंची जाति के आदमी के पानी को छू लिया था। उन्होंने कहा कि हम लोग समझने की कोशिश करें कि यह मानवाधिकारों का सवाल है, हम किसी इंसान के साथ इस तरह का बर्ताव कैसे कर सकते हैं।

डॉक्टर आंबेडकर की किताब ‘जाति के विनाश’ का संदर्भ देते हुए वाइस चांसलर ने कहा कि अगर भारतीय समाज आगे बढ़ना चाहता है तो जाति को खत्म करना होगा और यह बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा, “मुझे समझ में नहीं आता कि हम जाति की पहचान को लेकर इतने भावुक क्यों हैं, यह बेहद भेदभावपूर्ण है और पूरी तरह असमान है।” 

वाइस चांसलर ने कहा कि हम इस कृत्रिम रूप से बनाई गई पहचान की रक्षा के लिए किसी को भी मारने के लिए तैयार हैं।
वाइस चांसलर ने समाज में जाति और जेंडर के बारे में कहा कि अगर आप महिला हैं और आप आरक्षित श्रेणी से आती हैं तो आप दोगुने हाशिए पर हैं। पहला तो आप महिला हैं इस वजह से और दूसरा आप एक तथाकथित जाति से आती हैं जो कई तरह की रूढ़ियों से बंधी हुई है। 
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‘बौद्ध धर्म महान है’

उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म भारतीय सभ्यता में असहमति की स्वीकृति को प्रमाणित करता है। वाइस चांसलर ने कहा कि बौद्ध धर्म महान धर्मों में से एक है क्योंकि यह साबित करता है कि भारतीय सभ्यता असहमति, विविधता और अंतरविरोधों को स्वीकार करती है। उन्होंने कहा कि गौतम बुद्ध पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने ब्राह्मणवादी हिंदू धर्म से अपनी असहमति व्यक्त की थी और हमें यह समझना चाहिए कि वह इतिहास के पहले तर्कवादी भी थे और हमारे पास डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा पुनर्जीवित की गई एक परंपरा है।

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क़मर वहीद नक़वी
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