रमण ने पत्र में यह भी कहा कि समिति से मेरा हटना पूरी तरह से इस बात पर आधारित है कि न्यायपालिका की ईमानदारी में कोई संदेह न रहे और जो विश्वास लोगों का इस न्यायपालिका में है, उसको बनाये रखने के लिए हम किसी भी हद तक जा सकते हैं।
जस्टिस बोबडे को लिखी गई चिट्ठी में यह भी माँग की गई है कि जब तक इस मामले की जाँच नहीं हो जाती, जस्टिस गोगोई सभी तरह के आधिकारिक कामकाज से दूर रहें।
हम हतप्रभ और दुखी हैं कि भारत के मुख्य न्यायाधीश ने इस शिकायत पर वैसा ही व्यवहार किया जैसा सरकारी पद या ऊँचे ओहदे पर बैठा आदमी किसी महिला के यौन दुर्व्यवहार की शिकायत पर करता है। इस मामले में अमूमन अभियुक्त आरोपों को खारिज कर देते हैं, शिकायत करने वाले की छवि खराब करते हैं, पुरानी बातों का उद्धरण देते हैं या शिकायत करने वाले की मंशा पर सवाल उठाते हैं।