डीएमके सांसद कनिमोझी ने स्पेन में भारतीय प्रवासियों को संबोधित करते हुए भारत की राष्ट्रीय भाषा पर पूछे गए एक सवाल का जवाब देकर तालियां बटोरीं। यह प्रतिनिधिमंडल ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की आतंकवाद विरोधी कूटनीतिक पहल के तहत पांच देशों की यात्रा पर है, जिसमें स्पेन अंतिम पड़ाव है।
जब कनिमोझी से एक भारतीय प्रवासी ने पूछा, "भारत की राष्ट्रीय भाषा क्या है?" तो उन्होंने बिना किसी हिचक के जवाब दिया, "भारत की राष्ट्रीय भाषा एकता में विविधता (Unity in Diversity) है। यही वह संदेश है जो यह प्रतिनिधिमंडल पूरी दुनिया में पहुंचा रहा है, और आज यह सबसे महत्वपूर्ण बात है।" उनके इस जवाब ने न केवल उपस्थित लोगों का दिल जीता, बल्कि सोशल मीडिया पर भी यह वीडियो तेजी से वायरल हो गया।
स्पेन में कनिमोझी ने न केवल भाषाई विविधता पर जोर दिया, बल्कि भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, "भारत एक सुरक्षित देश है, और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि कश्मीर भी सुरक्षित रहे। कोई भी हमें पटरी से उतार नहीं सकता।"
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इस प्रतिनिधिमंडल ने स्पेन के विदेश मंत्री जोस मैनुएल अल्बारेस से मुलाकात की, जिन्होंने भारत के आतंकवाद विरोधी प्रयासों के लिए "पूर्ण समर्थन" का भरोसा दिया। कनिमोझी की अगुआई में यह प्रतिनिधिमंडल रूस, स्लोवेनिया, ग्रीस और लातविया की यात्रा के बाद स्पेन पहुंचा था, जहां उन्होंने पाकिस्तान से जुड़े आतंकवाद और भारत की जवाबी कार्रवाई पर ग्लोबल समुदाय को अवगत कराया।
कनिमोझी का यह जवाब न केवल भारत की सांस्कृतिक और भाषाई विविधता का प्रतीक है, बल्कि डीएमके की उस विचारधारा को भी दर्शाता है जो भाषाई और क्षेत्रीय पहचान को संरक्षित करने पर जोर देती है। सोशल मीडिया पर उनके जवाब की सराहना करते हुए कई लोगों ने इसे भारत की बहुलवादी भावना का सशक्त प्रदर्शन बताया है।

कौन हैं कनिमोझी

कनिमोझी का पूरा नाम कनिमोझी करुणानिधि है, जो एक भारतीय राजनेता, कवयित्री और लेखिका हैं, जिनका जन्म 5 जनवरी 1968 को चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ था। वे द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके), तमिलनाडु की एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी, की प्रमुख नेता हैं और वर्तमान में 2019 से थूथुक्कुडी निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सांसद हैं। वे तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और डीएमके के संरक्षक स्वर्गीय एम. करुणानिधि और उनकी तीसरी पत्नी रजति अम्माल की बेटी हैं।
कनिमोझी तमिल संस्कृति, भाषा और सामाजिक न्याय की प्रबल समर्थक के रूप में जानी जाती हैं। वे भाषाई विविधता और क्षेत्रीय पहचान को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय हैं। लोकसभा में डीएमके की उपनेता के रूप में, वे संसदीय कार्यवाही में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। हाल ही में 2025 में स्पेन की यात्रा पर उन्होंने भारत की आतंकवाद विरोधी नीति पर चर्चा के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।
राजनीति के अलावा, कनिमोझी एक साहित्यिक हस्ती हैं, जो तमिल साहित्य में कविताओं के माध्यम से योगदान देती हैं और चेन्नई संगमम जैसे सांस्कृतिक उत्सवों का आयोजन करती हैं। वे 2जी स्पेक्ट्रम मामले में विवादों में भी रही थीं, लेकिन 2017 में उन्हें बरी कर दिया गया। स्पेन में भारत की राष्ट्रीय भाषा पर उनके जवाब, जिसमें उन्होंने कहा कि भारत की राष्ट्रीय भाषा "विविधता में एकता" है, ने उनकी वाकपटुता और भारत की बहुलवादी भावना को दर्शाकर व्यापक प्रशंसा बटोरी।