वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल
ईवीएम को लेकर देश में शक का माहौल चरम पर है। जौनपुर में कल शनिवार 25 मई को वोट डाले गए और मतदान खत्म होने के बाद सारी ईवीएम स्ट्रांग रूप में जमा कर दी गईं। रात 11 बजे वहां एक ट्रक करीब 150 ईवीएम लेकर पहुंचता है। वहां पर मौजूद सपा कार्यकर्ता और प्रत्याशी हंगामा कर देते हैं। मौके पर डीएम और एसपी को आना पड़ता है। वे आकर ट्रक की जांच करते हैं। पूरी वीडियोग्राफी होती है। बाद में डीएम घोषित करते हैं कि यह अतिरिक्त ईवीएम है जो मतदान केंद्रों पर कमी पड़ने की स्थिति में इस्तेमाल के लिए मंगाई गई थी। गलती से यहां आ गई। सपा कार्यकर्ताओं के आग्रह पर ईवीएम से भरे ट्रक को वहां से हटाकर जौनपुर कलेक्ट्रेट में खड़ा कर दिया जाता है। मामला शांत हो जाता है। लेकिन शक की गुंजाइश बढ़ जाती है और सपा कार्यकर्ता और भी मुस्तैदी से जौनपुर स्ट्रांग रूम की रखवाली करने लगते हैं। जौनपुर से भाजपा प्रत्याशी कृपाशंकर सिंह, सपा प्रत्याशी बाबू सिंह कुशवाहा का सीधा मुकाबला है।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और कुछ अन्य वकील ईवीएम पर लगातार पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं। वकील महमूद प्राचा ने तो ईवीएम को मुद्दा बनाकर जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया। ईवीएम के खिलाफ कंटेंट को यूट्यूब, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया मंचों से सरकार के दबाव पर हटा दिया गया। ऐसे किसी भी कंटेंट के साथ चुनाव आयोग का एक संदेश भी होता है कि ईवीएम से चुनाव पूरी ईमानदारी से होता है और बेईमानी की कोई गुंजाइश नहीं है। लेकिन सच यह है कि ईवीएम को लेकर शक बना हुआ है। कपिल सिब्बल ने रविवार 26 मई को कुछ गाइडलाइंस जारी की हैं। राजनीतिक दलों के प्रत्याशी, उनके एजेंट और कार्यकर्ता उस गाइडलाइन का पालन कर ईवीएम की गड़बड़ी या हेराफेरी पर काफी हद तक काबू पा सकते हैं। आगे जानिए क्या कहा है कपिल सिब्बल ने।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों और मतगणना एजेंटों के लिए एक चेकलिस्ट जारी की, ताकि यह जांचा जा सके कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के साथ छेड़छाड़ की गई है या नहीं। सिब्बल ने मीडिया से रविवार को कहा, "मतदान के नतीजे 4 जून को आएंगे। मैं जनता और राजनीतिक दलों को जागरूक करना चाहता हूं कि मशीनें (ईवीएम) खुलने पर आपको क्या करना चाहिए। इसलिए मैंने सभी पार्टियों और सभी काउंटिंग एजेंटों के लिए एक चार्ट बनाया है।
ईवीएम का मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ईवीएम पर भी चुनाव आयोग को क्लीन चिट दे चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने बैलेट पेपर से चुनाव की मांग को खारिज कर दिया। बैलेट पेपर का चुनाव आयोग और सरकार ने यह कहकर विरोध किया कि पहले मतदान बूथ लूट लिए जाते थे। लेकिन चुनाव आयोग यह नहीं बता रहा है कि ईवीएम को लेकर भी तो इसी तरह की शिकायतें हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश में भाजपा नेता के बेटे को पकड़ा गया, जिसने अकेले 8 वोट भाजपा को डाले थे। इसी तरह गुजरात के दाहोद में भाजपा प्रत्याशी के बेटे ने मतदान केंद्र पर कब्जा कर लिया और वोट डलवाए। इस मामले की एफआईआर हुई, प्रत्याशी पुत्र को गिरफ्तार किया गया और चुनाव आयोग ने उस मतदान बूथ पर फिर से मतदान का आदेश दिया।