आरएसएस पर जिस तरह से सरदार वल्लभभाई पटेल ने प्रतिबंध लगाया था, क्या उस तरह से फिर से प्रतिबंध लगना चाहिए? कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने तो पटेल का नाम लेते हुए साफ़ तौर पर पैरवी की है कि आरएसएस पर प्रतिबंध लगना चाहिए। उन्होंने कहा कि पटेल ने सरकारी कर्मचारियों की आरएसएस गतिविधियों में भागीदारी पर प्रतिबंध लगाया था। खड़गे ने आरोप लगाया कि यह प्रतिबंध 2024 में बीजेपी सरकार द्वारा हटा दिया गया था और इसे बहाल किया जाना चाहिए।

खड़गे का यह बयान तब आया है जब सरदार वल्लभभाई पटेल को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को ही कहा है कि सरदार पटेल पूरे कश्मीर को भारत में मिलाना चाहते थे, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने ऐसा नहीं होने दिया। पीएम मोदी ने कहा कि जो काम अंग्रेज नहीं कर पाए, वह कांग्रेस ने कर दिया। अमित शाह ने भी कहा कि कांग्रेस सरकार ने सरदार वल्लभभाई पटेल को सही सम्मान नहीं दिया। बीजेपी पर आरोप लगता रहा है कि वह सरदार पटेल की विरासत को हड़पना चाहती है, जबिक पटेल ने इसकी विचारधारा को लेकर बीजेपी के मातृ संगठन आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया था। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने इन सभी घटनाक्रमों को गिनाया और यह भी बताया कि नेहरू और पटेल एक दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि वे एक दूसरे का सम्मान करते थे।
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आरएसएस की विचारधारा 'जहर'

शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में खड़गे ने सरदार पटेल को याद करते हुए कहा, 'जिन लोगों ने गांधी जी की हत्या की थी, आज उन्हीं के लोग कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी सरदार पटेल को याद नहीं करती। सरदार वल्लभभाई पटेल देश को एक करने वाले नेता हैं। जवाहरलाल नेहरू मानते थे कि सरदार पटेल का योगदान अपार था। पटेल ने संविधान सभा में मौलिक अधिकार से जुड़े अपने विचार रखे और संविधान में जगह बना कर दी। सरदार पटेल कहते थे कि संघ के भाषण सांप्रदायिकता से भरे हैं। संघ के कारण ही गांधी जी की हत्या हुई थी। बीजेपी-आरएसएस हमेशा देश के लिए घातक रही है, वहीं कांग्रेस हमेशा देश की भलाई के बारे में सोचती है।'

कांग्रेस अध्यक्ष ने आरएसएस की विचारधारा की तुलना 'जहर' से की। खड़गे ने सरदार पटेल के 1948 के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि पटेल ने सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस और जमात-ए-इस्लामी की गतिविधियों में भाग लेने से प्रतिबंधित किया था। उन्होंने कहा, 'मेरा निजी मत है कि आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।'

आरएसएस पर पटेल की राय

खड़गे ने आगे दावा किया कि पटेल को मिली रिपोर्ट के अनुसार, आरएसएस और हिंदू महासभा की विचारधारा से देश में पैदा हुआ माहौल महात्मा गांधी की हत्या का जिम्मेदार था। उन्होंने पटेल के एक पत्र का जिक्र किया, जिसमें लिखा था कि आरएसएस ने गांधीजी की मौत पर जश्न मनाया और मिठाइयां बांटीं।

खड़गे ने कहा, "जो लोग देश के लिए मर-मिटे हैं, उनकी ही पार्टी पर कुछ लोग बहुत टिप्पणियाँ करते हैं। ये समझ से परे है। लेकिन मैं आपको सरदार पटेल जी की बात याद दिलाना चाहता हूं। सरदार पटेल जी ने 4 फरवरी 1948 में एक पत्र में लिखा था- 'गांधी जी की मृत्यु पर आरएसएस ने जो हर्ष प्रकट किया और मिठाई बांटी, उससे ये विरोध और भी बढ़ गया। इन हालातों में सरकार के पास आरएसएस के खिलाफ कदम उठाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा था'।" खड़गे ने आगे कहा, 
श्यामा प्रसाद मुखर्जी को ये पत्र लिखते हुए पटेल ने कहा- रिपोर्ट से सिद्ध होता है कि आरएसएस और हिंदू महासभा की गतिविधियों के कारण देश में जिस वातावरण का निर्माण हुआ, उसी से गांधी जी की हत्या हुई।
मल्लिकार्जुन खड़गे
कांग्रेस अध्यक्ष
खड़गे ने कहा, 'सरदार पटेल ने भी कहा था कि सरकारी सेवा में रहते हुए आरएसएस के लिए काम नहीं करना चाहिए। उन्होंने सरकारी कर्मचारियों पर आरएसएस और जमात-ए-इस्लामी की गतिविधियों में भागीदारी पर प्रतिबंध लगाया था, जिसे मोदी सरकार ने 9 जुलाई 2024 को हटा दिया। हम मांग करते हैं कि यह प्रतिबंध बहाल किया जाए।'
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कर्नाटक में विवाद

खड़गे का यह बयान कर्नाटक में चल रहे विवाद से जुड़ा है, जहां कांग्रेस सरकार और बीजेपी के बीच सरकारी कर्मचारियों की आरएसएस रैलियों में भागीदारी को लेकर टकराव चल रहा है। कर्नाटक खड़गे का गृह राज्य है। कांग्रेस सरकार ने सरकारी कर्मचारियों पर आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की है, जिसे बीजेपी ने राजनीतिक पूर्वग्रह बताया है।

1948 का प्रतिबंध

1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया था। पटेल का मानना था कि संघ की गतिविधियां देश में सांप्रदायिक तनाव पैदा कर रही थीं। हालांकि, बाद में प्रतिबंध हटा लिया गया। खड़गे ने इसी इतिहास का हवाला देकर वर्तमान मांग को मजबूत किया है। दूसरी ओर, बीजेपी का दावा है कि आरएसएस देशभक्ति और सामाजिक सेवा का प्रतीक है, जो हिंदू संस्कृति और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देता है। पार्टी इसे अपना वैचारिक मातृ संगठन मानती है।
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क्या नेहरू और पटेल में विवाद था?

बीजेपी लगातार दावा करती रही है कि नेहरू और कांग्रेस सरकारों ने सरदार पटेल को वह सम्मान नहीं दिया जिसके वह हकदार थे। कई बार तो यह दावा भी कर दिया जाता है कि सरदार को देश के पहले पीएम बनने से रोका गया। अमित शाह ने शुक्रवार को ही कहा, "कांग्रेस सरकार ने सरदार वल्लभभाई पटेल को उचित सम्मान नहीं दिया। सरदार पटेल को 41 साल की देरी के बाद भारत रत्न से सम्मानित किया गया। देश में कहीं भी कोई स्मारक नहीं बनाया गया। जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने, तभी उन्होंने 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' की परिकल्पना की और सरदार पटेल के सम्मान में एक भव्य स्मारक बनवाया।"

खड़गे ने नेहरू और पटेल के बीच विवाद के दावों को खारिज किया है। उन्होंने कहा, "बीजेपी के नेता हमेशा कहते हैं कि नेहरू जी और सरदार पटेल जी में मतभेद था। जबकि नेहरू जी ने खुद सरदार पटेल जी को 'भारत की एकता के शिल्पी' बताया था। वहीं पटेल जी ने नेहरू जी को 'देश के आदर्श और जनता के नेता' कहा था। सरदार पटेल जी ने कहा था- 'पिछले दो कठिन वर्षों में नेहरू जी ने देश के लिए जो अथक परिश्रम किया है, वो मुझसे अधिक अच्छी तरह कोई नहीं जानता है। देश के आदर्श, जनता के नेता, राष्ट्र के प्रधानमंत्री और सबके लाडले जवाहरलाल के महान कृतित्व का भव्य इतिहास सबके सामने खुली किताब है'।"

खड़गे ने बीजेपी पर सच्चाई को छुपाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, 'हाल ही में NCERT की तीन किताबों में से गांधी जी, गोडसे, आरएसएस और 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े टॉपिक हटा दिए गए हैं। बीजेपी सरकार सच्चाई को छिपाना चाहती है, जो बहुत बुरी बात है। मोदी सरकार हमेशा झूठ को सच बनाने की कोशिश में लगी रहती है, जिससे उनकी मंशा समझ में आती है।'