आज़ादी के बाद शायद ही कभी ऐसा हुआ होगा कि लाखों लोग अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के बॉर्डर्स पर आकर बैठ गए हों और हालात सरकार के क़ाबू से बाहर चले गए हों। जम्हूरियत होने के चलते इस मुल्क़ में जेपी आंदोलन से लेकर अन्ना आंदोलन तक हुए हैं, जिनमें नेताओं के अलावा आम लोगों की भी भागीदारी रही लेकिन किसान आंदोलन ने जिस तरह देश की राजधानी को चारों ओर से घेर लिया है, वैसा शायद नहीं हुआ होगा।