Sonam Wangchuk Arrested in Ladakh: लद्दाख हिंसा के दो दिन बाद पर्यावरणवादी और एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को गिरफ्तार कर लिया गया है। केंद्र सरकार ने सोनम को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया था। हिंसा के बाद से ही सरकार उन पर कार्रवाई कर रही थी।
सोनम वांगचुक को लद्दाख पुलिस ने शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर लेह में हुए विरोध प्रदर्शन के दो दिन बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) ने शुक्रवार दोपहर 2.30 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। जिसे वांगचुक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करने वाले थे। लेकिन मीडिया से बात करने से पहले ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। समझा जाता है कि उन्हें एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) के तहत गिरफ्तार किया गया है। क्लाइमेटचेंज एक्टिविस्ट लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने और आदिवासी अधिकारों की रक्षा के लिए लंबे समय से शांतिपूर्ण आंदोलन चला रहे थे। बीच में उन्होंने दिल्ली मार्च भी आयोजित किया था।
सोनम वांगचुक को डीजीपी एसडी सिंह जामवाल के नेतृत्व में लद्दाख पुलिस की एक टीम ने गिरफ्तार किया। अभी यह साफ नहीं है कि पुलिस ने उन पर क्या आरोप लगाए हैं। लेह में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। लेह में शुक्रवार को भी कर्फ्यू लगा हुआ है। पड़ोस में स्थित करगिल में वहां के लोगों ने लद्दाख के समर्थन में गुरुवार को बंद आयोजित किया था।
केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने बुधवार को लेह में हुई हिंसा के लिए वांगचुक को ज़िम्मेदार ठहराया था। केंद्र ने आरोप लगाया था कि हिंसा उनके "भड़काऊ बयानों" से भड़की थी। मंत्रालय ने गुरुवार को सोनम के नेतृत्व वाले एक गैर-सरकारी संगठन, स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (एसईसीएमओएल) का एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया। मंत्रालय ने इस कार्रवाई का कारण "वित्तीय अनियमितताओं" को बताया। सरकार ने सूत्रों के जरिए यह तक आरोप लगाया कि सोनम विदेशी एजेंट हैं।
लद्दाख के डीजीपी का बयान
केंद्र सरकार की ही लाइन लेते हुए पुलिस महानिदेशक (लद्दाख) एस.डी. सिंह जामवाल ने शुक्रवार को कहा, "सोनम वांगचुक और कांग्रेस पार्टी के कुछ सदस्यों ने लद्दाख के लोगों को भड़काया। उन्होंने भड़काऊ भाषण दिए। लेह सर्वोच्च निकाय यानी एलएबी (जो केंद्र के साथ बातचीत कर रहा है) ने आधिकारिक तौर पर आम विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया था, लेकिन इस हिंसक प्रदर्शन का नहीं। सोनम वांगचुक ने पहले लोगों से कोविड के कारण विरोध प्रदर्शन के दौरान मास्क पहनने को कहा था, लेकिन वास्तव में वह लोगों से सावधानी बरतने को कह रहे थे ताकि उनकी पहचान न हो सके। उन्होंने अपने भाषणों में श्रीलंका और नेपाल में हुई हिंसा का ज़िक्र किया। वह इस्लामाबाद भी गए हैं।" पुलिस ने सोनम वांगचुक और अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर पहले ही दर्ज कर ली थी।एलएबी ने सोनम वांगचुक का बचाव किया
लद्दाख को राज्य का दर्जा दिलाने के लिए आंदोलन का नेतृत्व कर रही लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) ने शुक्रवार को कहा कि उनका विरोध शांतिपूर्ण है और 24 सितंबर को हुई हिंसा तब भड़की जब युवाओं का एक वर्ग बेकाबू हो गया। लेह में चल रही भूख हड़ताल के दौरान हुई हिंसा में कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की भूमिका से एलएबी ने इनकार किया। एलएबी ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस बुला रखी थी, जिसे सोनम वांगचुक वर्चुअली यानी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करने वाले थे।
बयान में, लेह एपेक्स बॉडी के एक सदस्य ने कहा, "हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण और अहिंसक होगा। इसका प्रसार करने के लिए, हमने सभी धर्मों की प्रार्थनाएँ शुरू कीं थीं। जब सोनम वांगचुक ने भूख हड़ताल शुरू की, तो कुछ लोग वहाँ भी आए। हम गाँवों से लोगों को बुलाते थे। हमने 24 सितंबर को लेह बंद का आह्वान किया था।" एलएबी का कहना है कि सोनम का आंदोलन और एलएबी के आंदोलन का मकसद एक ही है। लेकिन दोनों आंदोलन अलग-अलग जगह चल रहे थे।
उन्होंने कहा, "इससे पहले, 23 सितंबर को, विरोध प्रदर्शन में शामिल दो लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसकी जानकारी मिलते ही युवाओं की एक बड़ी भीड़ अस्पताल पहुँच गई। बंद वाले दिन, हमारी अपेक्षा से कहीं ज़्यादा लोग धरना स्थल पर जमा हो गए। उस दिन लोगों में बड़ी संख्या युवाओं की थी।"
रोकने के बावजूद काबू से बाहर हो गए थे युवकः एलएबी
एलएबी के सदस्य ने कहा कि वरिष्ठ नेताओं द्वारा प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के प्रयासों के बावजूद, उन्होंने बीजेपी कार्यालय में तोड़फोड़ की। उन्होंने कहा, "इसके बाद, युवा बेकाबू हो गए; वे बाहर प्रदर्शन करना चाहते थे, लेकिन हमने उन्हें रोक दिया। हमारे वरिष्ठ नेताओं ने भी उन्हें रुकने का आदेश दिया। उन्होंने हमारी बात नहीं मानी। उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया और बीजेपी कार्यालय में जाकर तोड़फोड़ की।"