लद्दाख की लेह एपेक्स बॉडी यानी एलएबी ने सोमवार को केंद्र सरकार के साथ 6 अक्टूबर को होने वाली प्रस्तावित वार्ता से हटने का ऐलान कर दिया है। इस फैसले के पीछे क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक की राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम यानी एनएसए के तहत गिरफ्तारी, प्रदर्शनकारियों पर 'राष्ट्र-विरोधी' और 'पाकिस्तान के इशारे पर काम करने' के आरोप और 24 सितंबर को पुलिस गोलीबारी में चार लोगों की मौत को कारण बताया गया। एलएबी ने कहा कि जब तक क्षेत्र में शांति और सामान्य स्थिति बहाल नहीं होती और उनके सदस्यों के खिलाफ कार्रवाइयां वापस नहीं ली जातीं, तब तक वह न तो 6 अक्टूबर की वार्ता में और न ही 30 सितंबर को प्रस्तावित अनौपचारिक चर्चा में हिस्सा लेगी।
लेह एपेक्स बॉडी ने किया केंद्र के साथ 6 अक्टूबर को होने वाली वार्ता से किनारा, शर्तें रखीं
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- 30 Sep, 2025
लेह एपेक्स बॉडी ने केंद्र सरकार के साथ 6 अक्टूबर को प्रस्तावित वार्ता में शामिल होने से इंकार किया और कई शर्तें रखीं। पढ़िए, क्या हैं इनकी शर्तें और क्या सरकार इसपर तैयार होगी?

लद्दाख की मांगें और हिंसा
लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस यानी केडीए पिछले पांच वर्षों से लद्दाख के लिए चार प्रमुख मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं- पूर्ण राज्य का दर्जा, संविधान की छठी अनुसूची के तहत संरक्षण, अलग पब्लिक सर्विस कमीशन और लद्दाख के लिए दो लोकसभा सीटें। 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद लेह के निवासियों ने शुरू में इस कदम का स्वागत किया था, जबकि कारगिल में इसका विरोध हुआ। बाद में दोनों क्षेत्रों के सामाजिक, धार्मिक और व्यापारिक संगठनों ने एकजुट होकर इन मांगों को उठाया।