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कोरोना संकट के बीच संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से

पिछले साल से ही कोरोना की वजह से प्रभावित हो रहे संसद के सत्रों के बीच इस बार 19 जुलाई से मानसून सत्र शुरू किया जाएगा। यह 13 अगस्त तक चलेगा। सामान्य तौर पर मानसून सत्र जुलाई के तीसरे हफ़्ते में शुरू होता है और 15 अगस्त से पहले ख़त्म हो जाता है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा है कि इस सत्र में 19 कार्य दिवस होंगे और सत्र सुबह 11 बजे से लेकर शाम के 6 बजे तक चलेगा। कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए पूरे इंतज़ाम किए जाएँगे।

ओम बिड़ला ने सोमवार को इस सत्र के लिए तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि सभी सांसदों और मीडिया को कोरोना प्रोटोकॉल के नियमों के पालन पर ही शामिल होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा है कि आरटीपीसीआर जाँच अनिवार्य नहीं होगी, लेकिन जिन्होंने टीका नहीं लगवाया है उन्हें जाँच कराने का आग्रह किया जाएगा। 

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इससे पहले रिपोर्टें आई थीं कि सांसदों को बिना आरटीपीसीआर जाँच कराए भी सत्र में शामिल होने की इजाजत दी जा सकेगी यदि उन्होंने वैक्सीन की एक भी खुराक ली हो। हालाँकि, पहले की रिपोर्टों में यह कहा जा रहा था कि बिना वैक्सीन लगवाए लोगों के लिए आरटीपीसीआर जाँच अनिवार्य होगी। लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ने साफ़ किया है कि यह अनिवार्य नहीं होगी।

संसद सत्र को शुरू करने का फ़ैसला तब लिया गया है जब कोरोना संक्रमण के मामले हर रोज़ अभी भी 30 हज़ार से 40 हज़ार के बीच आ रहे हैं और कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई गई है। 

पिछले हफ़्ते ही केंद्र ने आठ राज्यों को पत्र लिखकर कोरोना को नियंत्रित करने को कहा है। उस पत्र में उन राज्यों के कई ज़िलों में कोरोना पॉजिटिविटी रेट ज़्यादा होने पर चिंता जताई गई है। इसके अलावा केंद्र ने चार अन्य राज्यों-महाराष्ट्र, केरल छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में हर रोज़ संक्रमण बढ़ने पर कोरोना को नियंत्रित करने को कहा गया है। इन्हीं वजहों से संसद से सत्र के लिए अतिरिक्त सावधानी बरती जा रही है। 

सत्र सभी आवश्यक प्रोटोकॉल के साथ संसद के दोनों सदनों में आयोजित किया जाएगा और सोशल डिस्टेंसिंग के आधार पर संसद सदस्यों को समायोजित करने की व्यवस्था की जा रही है।

संसद सत्र पिछले साल से ही कोरोना संक्रमण की वजह से प्रभावित होते रहे हैं। संसद के पिछले तीन सत्रों को बीच में ही समाप्त करना पड़ा था। 2020 का पूरा शीतकालीन सत्र ही रद्द कर दिया गया था। कोरोना के कारण कई विधेयकों के पारित होने में देरी हुई। मौजूदा समय में भी संसद के सामने 40 विधेयक और पाँच अध्यादेश लंबित हैं। 

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बता दें कि मोदी सरकार ने हाल ही में मंत्रिमंडल में फेरबदल किया है। इसमें 40 से ज़्यादा मंत्रियों के मंत्रालय बदले गए हैं। नए मंत्रिमंडल गठन की वजह से कई समितियों में स्थान रिक्त हुए हैं। उनका पुनर्गठन किया जाएगा। सरकार ने सत्र के दौरान पारित होने के लिए प्रमुख विधेयकों की रूपरेखा तैयार कर ली है। 
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क़मर वहीद नक़वी
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