उत्तर-पूर्व के राज्यों में पत्रकारों को जान जोखिम में डालकर काम करना पड़ता है। खास तौर पर उग्रवादी संगठनों के हिंसक रवैये को लेकर कई बार अखबार का प्रकाशन स्थगित करने की भी नौबत आ जाती है। एक तरफ उग्रवादी हमले की आशंका रहती है तो दूसरी तरफ सरकारी दमन का खतरा मंडराता रहता है।