उत्तर-पूर्व के राज्यों में पत्रकारों को जान जोखिम में डालकर काम करना पड़ता है। खास तौर पर उग्रवादी संगठनों के हिंसक रवैये को लेकर कई बार अखबार का प्रकाशन स्थगित करने की भी नौबत आ जाती है। एक तरफ उग्रवादी हमले की आशंका रहती है तो दूसरी तरफ सरकारी दमन का खतरा मंडराता रहता है।
मणिपुर: धमकियों के ख़िलाफ़ पत्रकारों ने किया प्रदर्शन
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- 27 Nov, 2020

मणिपुर लंबे समय से संघर्ष का क्षेत्र रहा है। इस राज्य में पत्रकारों को सरकार और उग्रवादी संगठनों के दबाव का सामना करना पड़ता रहा है। छोटे उग्रवादी संगठन मीडिया के माध्यम से वैधता हासिल करने के लिए दबाव की रणनीति अपनाते हैं। वे अखबारों का इस्तेमाल नोटिस बोर्ड के रूप में करना चाहते हैं। वे अपनी धमकी को प्रचारित करने के लिए मीडिया का सहारा लेना चाहते हैं।
मणिपुर में मीडिया बिरादरी के सदस्यों ने बुधवार को एक उग्रवादी संगठन के दबाव और "धमकी" के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया।
इम्फाल में ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन और एडिटर्स गिल्ड मणिपुर द्वारा विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया। पत्रकारों के संगठनों ने पहले अनिश्चितकाल के लिए समाचार पत्रों के प्रकाशन को रोकने का फैसला किया था लेकिन फिर वे इसे गुरुवार से जारी रखने के लिए सहमत हुए।