भारत और चीन के बीच रेयर अर्थ मैग्नेट के निर्यात को लेकर तनाव के बीच भारत ने इस मुद्दे पर बीजिंग के साथ औपचारिक बातचीत शुरू की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि दोनों देश रेयर अर्थ मैग्नेट और संबंधित उपकरणों के आयात से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं। यह क़दम तब उठाया गया है जब चीन ने भारत को रेयर अर्थ मैग्नेट और स्पेशिएलिटी फर्टिलाइजर्स की सप्लाई रोक दी है, जबकि अन्य देशों को निर्यात जारी रखा है। इस क़दम से भारत के ऑटोमोबाइल और कृषि क्षेत्र में संकट की स्थिति पैदा हो गई है।

रेयर अर्थ मैग्नेट कितना अहम? 

नियोडिमियम और अन्य रेयर अर्थ एलिमेंट से बनाए जाने वाले रेयर अर्थ मैग्नेट आधुनिक तकनीक और उद्योगों के लिए बेहद अहम हैं। ये मैग्नेट इलेक्ट्रिक वाहनों, रिन्युएबल एनर्जी उपकरणों और ऑटोमोबाइल उद्योग में बेहद अहम हैं। भारत अपने रेयर अर्थ मैग्नेट की ज़रूरतों का बड़ा हिस्सा चीन से आयात करता है। वित्त वर्ष 2024 में भारत ने लगभग 460 टन रेयर अर्थ मैग्नेट आयात किए, जिनमें से अधिकांश चीन से आए। इस साल यह आंकड़ा 700 टन तक पहुंचने की उम्मीद है, जिसकी क़ीमत लगभग 30 मिलियन डॉलर है।
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चीन ने अप्रैल 2025 से रेयर अर्थ मैग्नेट और इससे जुड़े सामानों पर सख्त निर्यात प्रतिबंध लागू किए। इससे भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री और इलेक्ट्रिक वाहन सेगमेंट पर गहरा असर पड़ा है। सोसाइटी ऑफ़ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स ने चेतावनी दी थी कि मई 2025 के अंत तक रेयर अर्थ मैग्नेट का स्टॉक ख़त्म हो सकता है, जिससे वाहन उत्पादन ठप होने का ख़तरा है।

विशेष उर्वरकों की सप्लाई क्यों रोकी?

रेयर अर्थ मैग्नेट के अलावा चीन ने भारत को विशेष उर्वरकों की आपूर्ति भी रोक दी है। ये उर्वरक कृषि क्षेत्र के लिए अहम हैं और इनकी कमी से भारत के किसानों और कृषि उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन ने यह क़दम भारत के साथ अपने तनाव के तहत उठाया हो सकता है, जबकि अन्य देशों को इन सामग्रियों की सप्लाई बिना किसी रुकावट के जारी है।
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भारत अब क्या कर रहा है?

भारत सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए कुछ क़दम उठाए हैं। विदेश मंत्रालय ने न केवल चीन के साथ इस मुद्दे पर बातचीत शुरू की है, बल्कि वैकल्पिक सप्लाई के स्रोतों की तलाश भी तेज कर दी है। भारत जापान और वियतनाम जैसे देशों के साथ रेयर अर्थ मैग्नेट और मिनरल्स के आयात को लेकर चर्चा कर रहा है। ये दोनों देश रेयर अर्थ संसाधनों के मामले में अहम स्रोत हो सकते हैं।

इसके साथ ही भारत ने घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है। 

सरकार 1000 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना ला रही है, जिसका उद्देश्य निजी कंपनियों को रेयर अर्थ मैग्नेट के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करना है। इस योजना के तहत रेयर अर्थ ऑक्साइड को मैग्नेट में बदलने की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि चीन पर निर्भरता कम की जा सके।

भारतीय उद्योग पर प्रभाव

चीन के निर्यात प्रतिबंधों का सबसे ज़्यादा असर भारत के इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग पर पड़ा है, जो तेज़ी से बढ़ रहा है। रेयर अर्थ मैग्नेट की कमी के कारण कई कंपनियाँ उत्पादन में कटौती की योजना बना रही हैं। बजाज और टीवीएस जैसी प्रमुख कंपनियों ने इस संकट के कारण अपनी उत्पादन रणनीतियों पर पुनर्विचार शुरू कर दिया है।

इसके अलावा ऑटोमोबाइल उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह संकट जल्द हल नहीं हुआ तो भारत में वाहन उत्पादन पूरी तरह ठप हो सकता है। इससे न केवल आर्थिक नुक़सान होगा, बल्कि रोजगार और सप्लाई चेन पर भी गहरा असर पड़ेगा।
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अमेरिका के व्यापार युद्ध का असर?

कई जानकारों का मानना है कि चीन का यह क़दम अमेरिका के साथ चल रहे व्यापार युद्ध का परिणाम हो सकता है, लेकिन इसका असर भारत पर पड़ रहा है। कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया है कि चीन ने भारत को लक्षित करते हुए यह प्रतिबंध लगाया है क्योंकि भारत ने हाल के वर्षों में आत्मनिर्भरता की दिशा में क़दम उठाए हैं। हालाँकि, विशेषज्ञों का कहना है कि घरेलू उत्पादन की क्षमता विकसित करने में समय लगेगा और तब तक भारत को जापान, वियतनाम, और अन्य देशों पर निर्भर रहना पड़ सकता है।

विदेश मंत्रालय ने साफ़ किया है कि वह इस मुद्दे को प्राथमिकता के आधार पर हल करने में जुटा है। प्रवक्ता जायसवाल ने कहा, 'हम चीन के साथ इस मुद्दे पर सकारात्मक और रचनात्मक बातचीत कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत के उद्योगों को किसी भी तरह का नुक़सान न हो।'