सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता और सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर की आपराधिक मानहानि मामले में दोषसिद्धि को बरकरार रखा। यह मामला दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना द्वारा 2001 में दायर किया गया था। हालांकि, कोर्ट ने पाटकर पर लगाए गए 1 लाख रुपये के जुर्माने को रद्द कर दिया और उनकी प्रोबेशन शर्तों में भी बदलाव किया। इस फैसले ने 24 साल पुराने इस मामले को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है।