नए अधिनियम के तहत, प्रधान मंत्री, उनके द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री और विपक्ष के नेता या लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता चयन समिति में होंगे जो राष्ट्रपति को किसी उम्मीदवार की सिफारिश करेंगे। राष्ट्रपति उस उम्मीदवार को चुनाव आयुक्त नियुक्त कर देंगे। चयन प्रक्रिया में दो समितियाँ शामिल हैं - प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय चयन समिति और कानून मंत्री और दो सचिव स्तर के अधिकारियों की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खोज समिति। यानी खोज समिति (सर्च कमेटी) ने जिन नामों को खोजा होगा, वो पीएम वाली तीन सदस्यीय समिति को जानकारी देगी। फिर पीएम वाली कमेटी उन नामों में से किसी को चुनेगी। लेकिन यह महज सरकारी खानापूरी है। दोनों ही समितियों में सरकार का ही बहुमत है तो उसी की मर्जी से चयन होगा। विपक्षी सदस्य की अब कोई भूमिका नहीं है। यहां तक की उसकी राय मानने को भी सरकार अब बाध्य नहीं है।