बांग्लादेश सरकार के मुख्य सलाहकार और अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस (बाएं), पीएम मोदी
मोदी के पत्र में इस मुद्दे का सीधा उल्लेख तो नहीं है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह एक अप्रत्यक्ष संदेश है। पत्र में लिखा गया, "हम शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए अपनी साझा आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।" यह संकेत देता है कि भारत बांग्लादेश के साथ रिश्तों को सामान्य करने की कोशिश कर रहा है, भले ही हसीना का मामला अभी अनसुलझा हो।
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री जल्द ही फिर से ढाका जा सकते हैं। उनकी मोहम्मद यूनुस से मुलाकात संभव है। कहा है कि जा रहा है कि एक दिन पहले इस संबंध में दिल्ली में बैठक भी हुई है। इस बैठक में दोनों पक्षों ने तख्तापलट की आशंकाओं, हसीना के प्रत्यर्पण और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर खुलकर बात की। यूनुस की ओर से कथित तौर पर कहलवाया गया है कि "हम भारत के साथ पारिवारिक रिश्ता चाहते हैं, लेकिन इसके लिए भरोसा जरूरी है।"
भारत और बांग्लादेश के बीच बदलते रिश्ते, विशेष रूप से अगस्त 2024 में शेख हसीना के सत्ता से हटने और मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के आने के बाद, दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय स्थिरता पर गहरा प्रभाव डाल रहे हैं।
हसीना के जाने के बाद बांग्लादेश में उथल-पुथल ने अनिश्चितता पैदा की है। यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को आंतरिक अशांति का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें भीड़ हिंसा, गैर-न्यायिक हत्याओं और नाजुक राजनीतिक बदलाव की खबरें हैं। सैन्य तख्तापलट की अफवाहें, हालांकि सरकार द्वारा खारिज की गईं, तनाव को और बढ़ा रही हैं। यह अस्थिरता उन आर्थिक और सुरक्षा ढांचों को बाधित करने की धमकी दे रही है जो क्षेत्रीय स्थिरता का आधार थे।