RSS Mohan Bhagwat: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने ट्रंप की टैरिफ नीति पर प्रधानमंत्री मोदी के स्वदेशी आह्वान का समर्थन किया। उन्होंने आत्मनिर्भरता व कूटनीतिक संबंधों पर ज़ोर दिया। भागवत ने कहा- दुनिया में हम अलग-थलग नहीं रह सकते। संघ मुख्यालय में शस्त्र पूजन भी हुआ।
आरएसएस के नागपुर मुख्यालय में संघ प्रमुख मोहन भागवत के नेतृत्व में विजयदशमी पर शस्त्र पूजन।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने विजयदशमी पर अपना भाषण नेपाल के जेन ज़ी प्रदर्शन से लेकर ट्रंप टैरिफ और मोदी के स्वदेशी आह्वान पर केंद्रित रहा। उन्होंने जहां जेन ज़ी से असहमति जताई, वहीं मोदी का समर्थन किया। भागवत का बयान पूरी दुनिया में कारोबारी तनाव के बीच भारत की आर्थिक नीतियों पर मोदी सरकार को एक महत्वपूर्ण समर्थन के रूप में देखा जा रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ नीति पर प्रतिक्रिया देते हुए भागवत ने भारत को स्वावलंबन और स्वदेशी पर जोर देने की सलाह दी है। हालांकि अमेरिका ने अपने हितों को ध्यान में रखते हुए यह नीति लागू की है, लेकिन इससे सभी देश प्रभावित हो रहे हैं। इस मौके पर संघ के नागपुर मुख्यालय में शस्त्र पूजन भी हुआ।
नेपाल के जेन ज़ी प्रदर्शन से मोहन भागवत असहमत
आरएसएस प्रमुख ने नेपाल में हाल ही में हुए जेनरेशन जेड (जेन ज़ी) के विरोध प्रदर्शनों के बारे में भी बात की, जिसके कारण केपी ओली सरकार का अंत हुआ। संघ प्रमुख भागवत ने चेतावनी दी कि ऐसी घटनाएँ सिर्फ "विदेशी शक्तियों को दखलंदाज़ी करने" का रास्ता देती हैं। उन्होंने कहा, "हिंसक विद्रोह से कुछ हासिल नहीं होता। वे केवल अराजकता फैलाते हैं। अशांति विदेशी शक्तियों को दखलंदाज़ी करने का मौका देती है।" भारत के पड़ोस में क्रांति को "अच्छा संकेत" नहीं बताते हुए भागवत ने कहा कि सरकार के साथ मतभेद हमेशा कानून के रास्ते से हल किए जाने चाहिए।अराजकता के ग्रामर को रोकना होगाः संघ प्रमुख
उन्होंने कहा, "अराजकता के व्याकरण को रोकना होगा।" भागवत ने यह भी बताया कि ऐसी हिंसक क्रांतियाँ कोई ठोस नतीजा नहीं लातीं। उन्होंने कहा, "अपनी नाखुशी व्यक्त करने के लिए इस तरीके का इस्तेमाल करने से किसी को कोई फ़ायदा नहीं होता... अगर हम अब तक की सभी राजनीतिक क्रांतियों का इतिहास देखें, तो उनमें से किसी ने भी अपना उद्देश्य हासिल नहीं किया है... सरकारों वाले देशों में हुई सभी क्रांतियों ने अग्रणी राष्ट्रों को पूंजीवादी राष्ट्रों में बदल दिया है।"
हिंसक क्रांतियाँ कोई ठोस नतीजा नहीं लातीं। भारत के पड़ोस में क्रांति अच्छा संकेत नहीं। -मोहन भागवत, संघ प्रमुख
संघ मुख्यालय में 2 अक्टूबर 2025 को विजयदशमी संबोधन
भागवत ने नागपुर में आरएसएस के शताब्दी समारोह के दौरान विजयदशमी के मौक पर वार्षिक संबोधन दिया। उन्होंने वैश्विक निर्भरता की वास्तविकता को स्वीकार करते हुए चेतावनी दी कि कोई भी देश अलग-थलग नहीं रह सकता, लेकिन यह निर्भरता कभी बाध्यता में नहीं बदलनी चाहिए। उन्होंने कहा, “अमेरिका द्वारा लागू की गई नई टैरिफ नीति उनके अपने हितों को ध्यान में रखकर की गई है। लेकिन इससे सभी प्रभावित हो रहे हैं... दुनिया एक-दूसरे पर निर्भरता से चलती है। इसी तरह किसी दो देशों के बीच संबंध बनाए रखे जाते हैं। कोई देश अलगाव में जीवित नहीं रह सकता। यह निर्भरता बाध्यता में नहीं बदलनी चाहिए... हमें स्वदेशी पर भरोसा करना चाहिए और स्वावलंबन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए...। फिर भी सभी मित्र राष्ट्रों के साथ कूटनीतिक संबंध बनाए रखने का प्रयास करें, जो हमारी इच्छा से और बिना दबाव के हो।”
आत्मनिर्भर होने से ही भारत अपनी इच्छा के अनुसार काम कर पाएगा। स्वदेशी और स्वावलंबन का कोई विकल्प नहीं है।
-मोहन भागवत, संघ प्रमुख गुरुवार 2 अक्टूबर 2025 को नागपुर में
संघ प्रमुख का नागपुर मुख्यालय में विजयदशमी संबोधन
पीएम मोदी के स्वदेशी आह्वान का समर्थन
इस समय पीएम मोदी और आरएसएस खुलकर एक दूसरे का समर्थन कर रहे हैं। पुरानी तल्खियां भुला दी गई हैं। भागवत के विजयदशमी पर विचार सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' और 'स्वदेशी' अभियान से जुड़ते हैं। मोदी ने हाल के दिनों में वैश्विक चुनौतियों के बीच घरेलू उत्पादन और स्थानीय खपत को बढ़ावा देने का आह्वान किया था। आरएसएस प्रमुख का समर्थन इस अभियान को वैचारिक मजबूती प्रदान करता है, खासकर जब अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंध तनावपूर्ण हो रहे हैं। यह बयान संघ परिवार और केंद्र सरकार के बीच आर्थिक नीतियों पर बढ़ती समझ को भी बता रहा है।
अगस्त में, अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया, जिसके बाद हाल ही में ट्रंप ने नए H-1B वीज़ा आवेदनों पर 1,00,000 अमेरिकी डॉलर (₹88 लाख से ज़्यादा) का भारी शुल्क लगाने का फ़ैसला किया। हालांकि ट्रंप पीएम मोदी के साथ दोस्ती का दम भरते रहे हैं लेकिन फिलहाल ट्रंप ने मोदी के लिए कई मोर्चों पर मुश्किलें पैदा कर रखी हैं। लेकिन इधर दोनों ने फिर से तारीफ शुरू की। फिलहाल ट्रंप का ज्यादा झुकाव पाकिस्तान की तरफ देखा जा रहा है।
संघ मुख्यालय में शस्त्र पूजन
भागवत ने नागपुर में संगठन के विजयादशमी उत्सव के अवसर पर 'शस्त्र पूजा' की। आरएसएस मुख्यालय के रेशमबाग मैदान में शस्त्र पूजा के दौरान पारंपरिक हथियारों के अलावा, पिनाका एमके-1, पिनाका एन्हांस और पिनाका सहित आधुनिक हथियारों की प्रतिकृतियां और ड्रोन भी प्रदर्शित किए गए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी उपस्थित थे।भागवत के बयान का महत्व
यह बयान न केवल आर्थिक नीतियों पर बल्कि भारत की विदेश नीति पर भी असर डाल सकता है। भागवत ने मित्र राष्ट्रों के साथ स्वैच्छिक कूटनीतिक संबंधों पर जोर दिया, जो अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के बीच भारत की 'मल्टी-अलाइनमेंट' रणनीति को मजबूत करता है। नागपुर में आयोजित समारोह के दौरान आरएसएस के शताब्दी वर्ष के रूप में यह बयान संगठन की प्रासंगिकता को भी रेखांकित करता है।
आरएसएस के इस रुख से राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है, और आगामी दिनों में सरकार की व्यापार नीतियों पर इसका प्रभाव देखने को मिल सकता है।