आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को रोहतक (हरियाणा) में कहा कि दुनिया सनातन धर्म के कारण चल रही है और इसे नष्ट करने की बात करना कुल्हाड़ी पर पैर रखने जैसा होगा। रोहतक में बाबा मस्तनाथ आश्रम में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा, ''इसे नष्ट करने की बात कहने वालों ऐसे लोगों पर मुझे दया आती है जो ऐसा कहते हैं, मैं उन पर क्रोधित नहीं हूं। ऐसे बयान ज्ञान की कमी के कारण हैं। संतों ने हमें पहले ही बता दिया है कि सनातन की रक्षा कैसे करनी है…।”
संघ प्रमुख का यह बयान तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और राज्य सरकार में मंत्री डीएमके नेता उदयनिधि के बयान के संदर्भ में आया है। उदयनिधि ने हाल ही में सनातन धर्म की तुलना डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों से करके विवाद पैदा कर दिया था और इसे सामाजिक न्याय के खिलाफ बताते हुए इसके उन्मूलन का आह्वान किया था। उदयनिधि के बयान के बाद भाजपा और आरएसएस ने इसे बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की।
भागवत ने लोगों से अपनी मातृभूमि के प्रति भक्ति, प्रेम और समर्पण रखने की अपील करते हुए कहा, "हम मातृभूमि पर विचार करते हैं। हमारी राष्ट्रीय एकता की एक ज़रूरी चीज के रूप में। हमारी 5,000 साल पुरानी संस्कृति धर्मनिरपेक्ष है... सभी 'तत्व ज्ञान' में, यही निष्कर्ष है। पूरी दुनिया एक परिवार है, यह हमारी भावना है। यह कोई सिद्धांत नहीं है... इसे जानें, महसूस करें और फिर उसके अनुसार व्यवहार करें।" भागवत ने कहा, 'भारत के अस्तित्व का एकमात्र प्रयोजन यही है। भारत केवल दुनिया का सिरमौर देश बना तो उसमें कोई गौरव की बात भारत के लिए नहीं है, दुनिया चाहे जय-जयकार करे। भारत को दुनिया को यह सिखाना है कि विविधता में एकता नहीं, एकता की ही विविधता है।'
उन्होंने आगे कहा, '... मनुष्य असुरक्षित है। वैसे, मनुष्य के पास अपनी कोई ताक़त नहीं है। एक छोटा सा कीड़ा भी मनुष्य को मार सकता है। और मनुष्य के पास दाँत नहीं, नाखून नहीं। इतना दुर्बल है। ...उसको तो इकट्ठा रहना ही पड़ता था। दुनिया में सुरक्षा का उपाय एक ही है। मिलकर रहो। तो उसने एकत्र रहना शुरू किया।' हालाँकि उन्होंने कहा कि एकत्र हो तो सकते हैं, लेकिन एकत्र रहना मुश्किल काम है।
उन्होंने कहा, 'देश में बहुत विविधता है। एक-दूसरे से मत लड़ो। अपने देश को दुनिया को यह सिखाने में सक्षम बनाओ कि हम एक हैं।'