नई कक्षा 7 की NCERT इतिहास किताब में ग़ज़नवी आक्रमण, मंदिर-विध्वंस और इस्लाम के विस्तार पर अचानक बढ़ा जोर क्यों? पाठ्यपुस्तक बदलावों के पीछे क्या है विचारधारा की राजनीति?
कक्षा 7 की नई NCERT किताब में ‘ग़ज़नवी आक्रमणों’ की ज़्यादा चर्चा, मंदिर-विध्वंस की लंबी फेहरिस्त और इस्लाम के विस्तार पर जोर दिया गया है। दरअसल, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद यानी एनसीईआरटी ने कक्षा 7 की नई सामाजिक विज्ञान की किताब जारी की है। इसमें 'ग़ज़नवी आक्रमणों' को पुरानी किताब की तुलना में कई गुना ज़्यादा जगह और विस्तार दिया गया है। अब इस खंड में महमूद ग़ज़नवी के 'विनाश, लूटपाट' और 'ग़ैर-मुस्लिम इलाक़ों में अपनी व्याख्या वाले इस्लाम को फैलाने' पर ख़ूब चर्चा की गई है।
इसकी पुरानी किताब में भी इस काल की चर्चा थी, लेकिन जिस अंदाज़ में इस नयी किताब में है उसके मक़सद का अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है। इसकी झलक इस किताब में लिखे नोट में भी मिलती है। नई किताब के इस अध्याय से ठीक पहले एक 'चेतावनी का बॉक्स' दिया गया है– ठीक वैसे ही जैसे कक्षा 8 की किताब में दिल्ली सल्तनत के अध्याय से पहले 'इतिहास के काले अध्याय' नाम से नोट छपा था। यह बॉक्स छात्रों को बताता है कि इतिहास में युद्ध, विजय और विनाश को शांति, सुशासन या रचनात्मकता से कहीं ज़्यादा दर्ज किया गया है तथा दुनिया भर के इतिहासकार कभी-कभी इन काले अध्यायों पर ध्यान देने से हिचकते रहे हैं।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उस चेतावनी वाले बॉक्स में लिखा है, 'हमारा नज़रिया यह है कि इनका सामना करना और विश्लेषण करना बेहतर है ताकि समझ सकें कि ऐसी घटनाएँ संभव क्यों हुईं और भविष्य में इन्हें दोहराने से बचाया जा सके। साथ ही यह भी याद रखना चाहिए कि बीते घटनाक्रमों को मिटाया या नकारा नहीं जा सकता, लेकिन आज के किसी भी व्यक्ति को उनके लिए ज़िम्मेदार ठहराना ग़लत होगा।'
पुरानी किताब में था सिर्फ़ एक पैराग्राफ़
पुरानी कक्षा 7 की इतिहास की किताब में महमूद ग़ज़नवी पर सिर्फ़ एक पैराग्राफ़ था जिसमें कहा गया था कि शासक मंदिर बनवाकर अपनी शक्ति दिखाते थे और आक्रमणकारी धनी मंदिरों को निशाना बनाते थे। नई किताब में पूरा खंड लगभग छह पेज का है जिसमें तस्वीरें और बॉक्स भी शामिल हैं। इसमें विस्तार से बताया गया है-
- महमूद ग़ज़नवी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किए।
- मथुरा, कन्नौज के मंदिरों की लूट और गुजरात के सोमनाथ शिव मंदिर का विध्वंस किया।
- सोमनाथ का वर्तमान मंदिर 1950 में बना और 1951 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इसका उद्घाटन किया। किताब पूछती है, 'आपको क्यों लगता है कि इसका पूरा ख़र्च जनता के चंदे से ही उठाया गया?'
- बेहद सख़्त भाषा में लिखा गया है, “इन अभियानों में दसियों हज़ार भारतीय नागरिकों का क़त्ल हुआ और हज़ारों कैदी, जिनमें बच्चे भी थे, मध्य एशिया के ग़ुलाम बाज़ारों में बेचे गए।'
- महमूद के दरबारी इतिहासकार अल-उत्बी के हवाले से लिखा गया है कि उसने 'काफ़िरों का संहार किया, उनके बच्चों व मवेशियों को लूट लिया, मंदिर तोड़े, उनकी जगह मस्जिदें बनवाईं और इस्लाम को फैलाया।'
- अलबरूनी के हवाले से सोमनाथ के शिवलिंग का ज़िक्र है, 'महमूद ने मूर्ति के ऊपरी हिस्से को तोड़ दिया, बाक़ी हिस्सा ग़ज़नी ले गया। उसका एक टुकड़ा आज भी ग़ज़नी की जामा मस्जिद के दरवाज़े पर रखा है जहाँ लोग पैर पोंछते हैं।'
ये सारे विवरण पुरानी किताब में कहीं नहीं थे।
नालंदा-विक्रमशिला का विनाश भी पहली बार शामिल
अध्याय आगे चलकर मुहम्मद ग़ोरी और उसके सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक का ज़िक्र करता है। फिर बख़्तियार खिलजी का बंगाल अभियान आता है जिसमें पहली बार कक्षा 7 की किताब में नालंदा और विक्रमशिला के विनाश को विस्तार से बताया गया है- 'बख़्तियार खिलजी ने नालंदा व विक्रमशिला जैसे विशाल बौद्ध विहारों व विश्वविद्यालयों को नष्ट कर दिया, भारी लूट की और बड़ी संख्या में भिक्षुओं की हत्या की। बौद्ध इतिहासकारों में आम राय है कि इन बड़े शिक्षा केंद्रों के विनाश ने भारत में बौद्ध धर्म के पतन को तेज़ कर दिया, हालांकि कुछ अन्य कारण भी रहे होंगे।' किताब बताती है कि नालंदा की लाइब्रेरी महीनों तक जलती रही। ये सारे प्रसंग भी पुरानी कक्षा 7 की किताब में नहीं थे।
अरब आक्रमण और मुहम्मद बिन क़ासिम का ज़िक्र
इसी किताब के पिछले अध्याय में 6ठी-10वीं सदी के साम्राज्यों के बाद 'मध्य एशिया से हूण और अरब आक्रमण' का ज़िक्र है। पहली बार कक्षा 7 में मुहम्मद बिन क़ासिम और सिंध विजय का वर्णन आया है। 13वीं सदी के एक फारसी स्रोत के हवाले से लिखा है कि बिन क़ासिम ने इसे 'अल्लाह का हुक्म मानकर काफ़िरों से जंग' माना। किताब साफ़ करती है कि मध्यकालीन इस्लाम में 'काफ़िर' से तात्पर्य हिंदू, बौद्ध या जैन थे।
हालांकि यह भी जोड़ा गया है कि सिंध पर अरब विजय का राजनीतिक और धार्मिक प्रभाव सीमित रहा, अन्य क्षेत्रों की तरह यहाँ बड़े पैमाने पर धर्मांतरण नहीं हुए।NCERT निदेशक क्या बोले?
जब एनसीईआरटी निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी से इस बदलाव पर टिप्पणी मांगी गई तो उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'किताब की सामग्री अपने आप में पूरी तरह स्पष्ट है।'
ये नई किताबें राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 के अनुरूप तैयार की गई हैं। पहले कक्षा 7 में इतिहास, भूगोल और नागरिक शास्त्र की तीन अलग किताबें होती थीं; अब दो मोटी किताबें हैं जिनमें तीनों विषय एक साथ हैं। कक्षा 1 से 8 तक की नई किताबें अब उपलब्ध हैं। फिलहाल नई किताब चालू शैक्षणिक सत्र 2025-26 से पूरे देश की कक्षा 7 में पढ़ाई जाएगी।