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खालिस्तान समर्थकों पर NIA की कार्रवाई, छह गिरफ्तार

बीते मंगलवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आठ राज्यों के 76 स्थानों पर छापेमारी की थी इस छापेमारी के बाद  पंजाब के गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई, जग्गू भगवानपुरिया और गोल्डी बरार से जुड़े लोगों सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है। एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए गये लोगों में लकी खोखर उर्फ डेनिस शामिल है। लकी खोखर कनाडा स्थित आतंकवादी अर्श डल्ला का करीबी सहयोगी है। भटिंडा के रहने वाले लकी खोखर को मंगलवार को की गई छापेमारी में राजस्थान के श्रीगंगानगर से गिरफ्तार किया गया था।
लकी और कनाडा में रहने वाला अर्श डल्ला लगातार एक दूसरे के संपर्क में थे। लकी उसके लिए गैंग में शामिल होने वाले लड़को की भर्ती करता था, आतंकी गतिविधियों के लिए पैसों का जुगाड़ करता  था।  लकी ने हाल ही में पंजाब के जगरांव में हुए हालिया हत्याकांड में अर्श डल्ला के सहयोगियों को पैसा और हथियार मुहैया कराए।
एनआईए की अब तक की जांच में पता चला कि भारत में सक्रिय कई अपराधी, जो भारत में गैंगस्टरों का नेतृत्व कर रहे थे विदेशों में बैठकर भारत की विभिन्न  जेलों में बंद अपराधियों के साथ मिलकर वहां से आतंकी गतिविधियों और आपराधिक काम को अंजाम देने की योजना बना रहे थे।
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एनआईए के प्रवक्ता के अनुसार, लकी खोखर, अर्श दल्ला के लिए काम करता था, जो खालिस्तान लिबरेशन फोर्स, बब्बर खालसा इंटरनेशनल और इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन सहित कई खालिस्तानी आतंकवादी संगठनों के लिए हथियार, गोला-बारूद, विस्फोटक, आईईडी आदि की अंतरराष्ट्रीय और अंतर-राज्यीय सीमाओं से भारत में तस्करी करता था।
गिरफ्तार किए गए अन्य लोगों में हरिओम उर्फ टीटू, लखवीर सिंह शामिल हैं। लखवीर के कब्जे से नौ हथियार बरामद किए गए हैं। वह एक कुख्यात अपराधी है, जो छोटू राम भाट का सहयोगी है।  जो  पहले से ही गिरफ्तार किया जा चुका है। एनआईए ने इस मामले में अब तक कौशल चौधरी, अमित डागर, सुखप्रीत सिंह, भूपी राणा, नीरज बवाना, नवीन बाली और सुनील बालियान सहित 9 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
एनआईए प्रवक्ता के अनुसार सुरेंद्र चौधरी,दलीप बिश्नोई गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और जग्गू भगवानपुरिया और कनाडा में रह रहे गोल्डी बरार के सहयोगी हैं। इन्हें लॉरेंस बिश्नोई गैंग की ओर से फंड जुटाने, युवाओं की भर्ती करने और आतंकी वारदातों को अंजाम देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
बुधवार को गिरफ्तार किया गया दलीप बिश्नोई एक कुख्यात अपराधी है, जिसके खिलाफ पहले से ही 13 मामले दर्ज हैं। वह आतंकी समूहों के मुख्य फंडरों में से एक है। वह पंजाब और राजस्थान में इन आतंकी समूहों सहायता प्रदान कर रहा था। आतंकी नेटवर्कों और उनकी फंडिंग और समर्थन के बुनियादी ढांचे को नष्ट करने के लिए आगे की जांच जारी है।
पंजाब में खालिस्तान की मांग काफी पुरानी है। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद की कार्रवाईयों के बाद में लगभग इसको लगभग खत्म कर दिया गया था लेकिन पिछले कुछ सालों से इसकी मांग फिर से जोर पकड़ने लगी है।इसी सिलसिले में कई ऐसी घटनाएं घटी जिनसे अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह पंजाब में खालिस्तान की मांग को दोबारा से जिंदा करने की कोशिश है।
बीते दिनों ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर में एक हिंदू मंदिर, BAPS स्वामीनारायण मंदिर पर कथित तौर पर खालिस्तान समर्थकों द्वारा हमला किया गया था। ऑस्ट्रेलिया टुडे ने इस घटना की ख़बर देते हुए बताया था कि मंदिर के दरवाजे और दीवारों पर भारत विरोधी नारे लिखे हुए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में भी आपत्तिजनक बात लिखी हुई थी। दीवारों पर एक जगह खालिस्तान समूह के एक भारतीय आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले का नाम भी लिखा था।
बीते दिनों ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर में एक हिंदू मंदिर, BAPS स्वामीनारायण मंदिर पर कथित तौर पर खालिस्तान समर्थकों द्वारा हमला किया गया था। ऑस्ट्रेलिया टुडे ने इस घटना की ख़बर देते हुए बताया था कि मंदिर के दरवाजे और दीवारों पर भारत विरोधी नारे लिखे हुए थे।
दीवारों पर एक जगह खालिस्तान समूह के एक भारतीय आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले का नाम भी लिखा था।
खालिस्तान के समर्थन में इसी तरह के भारत विरोधी नारे लिखने की घटनाएँ हाल में कई बार सामने आई हैं। पिछले साल जून में जालंधर में सुप्रसिद्ध देवी तालाब मंदिर के बाहर दीवारों पर खालिस्तान जिन्दाबाद के नारे लिखे गए थे। प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस ने मंदिर के पास की दीवारों पर नारे लगाने की जिम्मेदारी ली थी। एसएफजे के गुरपतवंत सिंह पन्नू ने इस मामले में ऑडियो संदेश जारी किया था। पिछले दिनों फरीदकोट में एक जज के घर के बाहर दीवार पर खालिस्तान के समर्थन में नारे लिखे गए थे।
बीते साल ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे थे। पंजाब के हालात को देखते हुए राज्य सरकार ने स्वर्ण मंदिर के आसपास जबरदस्त सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। उसके पहले हिमाचल प्रदेश की विधानसभा भवन की दीवारों पर खालिस्तान समर्थक झंडे लगे मिले थे। 
बीते साल ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे थे। पंजाब के हालात को देखते हुए राज्य सरकार ने स्वर्ण मंदिर के आसपास जबरदस्त सुरक्षा व्यवस्था की गई थी
बीते साल ही सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद सिख फॉर जस्टिस यानी एसएफजे ने पंजाबी गायकों को धमकी दी थी। पन्नू ने एक वीडियो जारी कर कहा है कि कोई नहीं जानता कि अगली गोली पर किसका नाम लिखा होगा। एसएफजे एक प्रतिबंधित संगठन है। इसका नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू खालिस्तान के नाम पर लगातार लोगों को भड़काता रहता है। पन्नू ने एक वीडियो जारी कर कहा था कि है कि पंजाब में खालिस्तान रेफरेंडम के लिए अकाल तख्त साहिब में 6 जून से वोटिंग शुरू होगी और पंजाबी गायक इसमें भाग लें। पन्नू ने यह वीडियो ‘खालिस्तान का समर्थन न करने पर मौत सामने है’ शीर्षक से जारी किया था।
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पिछले साल हुए पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले कुमार विश्वास ने दावा किया था कि जब वह आम आदमी पार्टी में थे तो केजरीवाल ने उनसे कहा था कि या तो वह एक आजाद सूबे का मुख्यमंत्री बनेंगे और उनके यह कहने पर ही खालिस्तान की मांग को लेकर रेफरेंडम होने जा रहा है।
कुमार विश्वास के इस दावे के वाद अरविंद केजरीवाल काफी बुरी तरह से घिर गये थे, हालांकि बाद में उन्होंने इस पर सफाई देते हुए कहा था कि अगर वह आतंकवादी हैं तो केंद्र में रही कांग्रेस और बीजेपी की सरकार क्या कर रही थी क्यों नहीं अब तक उन्हें गिरफ्तार किया गया।
पंजाब में आम आदमी की पार्टी की सरकार बनने के बाद इस तरह की गतिविधियों में बढ़ोत्तरी हुई है। उसकी सरकार आने के कुछ दिनो के बाद ही सिद्धू मूसेवाला की हत्या कर दी गई थी। जिसके आरोप लॉरेंस विश्नोई गैंग पर हैं। माना जा रहा है कि यह गैंग खालिस्तान की मांग का समर्थन करने वाले लोगों को सपोर्ट कर रहा है। मूसेवाला की हत्या भी इसी सिलसिले में की गई थी।
पंजाब का एक प्रमुख राजनीतिक दल, अकाली दल भी अपने घटते जनाधार से परेशान है और खुद को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए तमाम तरह से संघर्ष कर रहा है। इसके लिए उसने एक बार फिर से धार्मिक सिंख संगठनों का रुख करना शुरु कर दिया है। ऐसे में यह देखना जरूरी है कि इस तरह की घटनाओं पर अकालियों का क्या रुख रहता है। क्योंकि अकाली जब-जब कमजोर पड़े हैं उन्होंने धर्म की राजनीति की सहारा लिया है।
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क़मर वहीद नक़वी
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