केरल की नर्स निमिषा प्रिया की यमन में फांसी की सजा को फिलहाल टाल दिया गया है, लेकिन पीड़ित परिवार की ओर से सख्त रुख अपनाए जाने के कारण उनकी मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। निमिषा पर अपने यमनी कारोबारी साझेदार तलाल अब्दो महदी की हत्या का आरोप है, और पीड़ित के परिवार ने ‘किसास’ (बदले में सजा) के तहत उनकी फांसी की मांग की है, जो इस्लामी कानून का एक सिद्धांत है। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में भी हुई थी, जहां भारत सरकार ने हाथ खड़े कर दिए और कहा कि इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं किया जा सकता।
निमिषा प्रिया, जो केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली 38 वर्षीय नर्स हैं, 2008 में बेहतर नौकरी के अवसरों की तलाश में यमन गई थीं। 2017 में तलाल अब्दो महदी की हत्या के मामले में उन्हें 2020 में मौत की सजा सुनाई गई थी। यमनी अधिकारियों के अनुसार, निमिषा ने अपने पासपोर्ट को वापस लेने के लिए तलाल को बेहोशी की दवा दी, जिसके नतीजे में उनकी मौत हो गई। इसके बाद, निमिषा और एक अन्य नर्स ने कथित तौर पर शव को टुकड़ों में काटकर पानी की टंकी में छिपा दिया।

तलाल का परिवार अड़ा 

तलाल के भाई अब्देल फतेह महदी ने बीबीसी अरबी को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “हमारा रुख बहुत साफ है; हम किसास के तहत अल्लाह के कानून को लागू करने की मांग करते हैं, और कुछ नहीं।” उन्होंने भारतीय मीडिया पर तलाल द्वारा निमिषा के साथ दुर्व्यवहार या पासपोर्ट जब्त करने के दावों को खारिज करते हुए इसे “सच्चाई को तोड़-मरोड़कर एक हत्यारे को पीड़ित के रूप में पेश करने” की कोशिश बताया। तलाल के भाई यह कहना चाहते हैं कि मौत के बदले मौत से कम सजा उन्हें मंजूर नहीं है।
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यमन में शरिया कानून के तहत, किसास के अलावा ‘दिया’ (ब्लड मनी) का प्रावधान भी है, जिसके जरिए पीड़ित का परिवार मुआवजे के बदले दोषी को माफ कर सकता है। हालांकि, तलाल के परिवार ने दिया स्वीकार करने से इनकार कर दिया है, जिससे निमिषा की जान बचाने की संभावनाएं कम हो गई हैं। निमिषा के लिए अब प्रार्थना ही की जा सकती हैं।
भारतीय सरकार और केरल के धार्मिक नेताओं ने निमिषा को बचाने के लिए गहन कूटनीतिक प्रयास किए हैं। भारत के ग्रैंड मुफ्ती शेख अबूबकर अहमद ने यमनी धार्मिक नेताओं और तलाल के परिवार से बातचीत की, जिसके परिणामस्वरूप 16 जुलाई को होने वाली फांसी को टाल दिया गया। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने इस घटनाक्रम को “आशा और राहत” देने वाला बताया।
निमिषा की मां प्रेमकुमारी, जो वर्तमान में यमन के अदन में हैं, ने इस फैसले पर राहत व्यक्त की और कहा कि उन्हें अपनी बेटी के घर वापस लौटने की अभी भी उम्मीद है। हालांकि, पीड़ित परिवार के सख्त रवैये के कारण निमिषा का भविष्य अनिश्चित बना हुआ है। भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि दिया ही अब निमिषा को बचाने का एकमात्र विकल्प है, लेकिन यमन के परिवार की मंजूरी के बिना यह संभव नहीं है।
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केरल के एक अरबपति एम.ए. यूसुफ अली ने दिया के लिए वित्तीय सहायता की पेशकश की है, और यमनी कबीलाई नेताओं के साथ बातचीत जारी है। फिर भी, तलाल के परिवार की ओर से बार-बार यह दोहराया जाना कि “सिर्फ किसास, कोई समझौता नहीं” निमिषा के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।