उत्तर भारत में पिछले दो-तीन दिनों से भारी बारिश ने तबाही मचाई है। पर्यावरण संरक्षण से जुड़े लोग इस बात पर सवाल उठाते हैं कि क्या सच में बारिश ने तबाही मचाई है, या फिर यह इंसानों द्वारा उत्पन्न की गई है? दरअसल, वे सवाल उठाते हैं कि बारिश तो कभी कम या ज़्यादा हो सकती है, लेकिन जो तबाही आती है उससे इंसान सबक कैसे सिखते हैं। तो सवाल है कि आख़िर इस तथ्य में कितना दम है कि ऐसी आपदाओं के लिए इंसान ही ज़िम्मेदार है?
भारी बारिश से कई वर्षों से तबाही आ रही है तो सबक क्यों नहीं लेते?
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- 10 Jul, 2023
क्या साल दर साल भारी बारिश से आने वाली तबाही से कुछ सबक सीखा गया? क्या निर्माण कार्य में नियमों का पालन किया जा रहा है? यदि ऐसा है तो क्या तबाही इस स्तर की होती?

वैसे, इस सवाल का सपाट जवाब तो यह हो सकता है कि इतनी तरक्की के बावजूद पहले की ऐसी घटनाओं से सबक़ नहीं लेना क्या इंसानी भूल नहीं है! लेकिन इसका बड़े पैमाने पर आकलन किया जाए तो कहा जाता है कि जिस तरह से प्रकृति को धता बताते हुए निर्माण कार्य किया गया है और पर्यावरणीय चिंताओं की अनदेखी की गई है, उसे क्या इंसानी ग़लती नहीं कहा जाएगा?